क्या सचमुच दुनिया हमारी मु_ी में मोबाइल के माध्यम से कैद होकर रह गई है। मात्र 6 इंच लंबाई के एक यंत्र की मदद से हर समस्या का हल ढूंढा जा सकता है। बचपन में हमने अलादीन के चिराग की कहानी सुन रखी है जिसमें चिराग को घिसते ही एक जिन्न प्रकट होता था और पूछता था ‘क्या हुक्म है मेरे आका’। उस जिन्न को आदेश देते ही वह माँगी गयी दुनिया की हर वस्तु लाकर पेश कर देता था।
उसी चिराग का कलयुगी नाम मोबाइल है जो इंटरनेट के माध्यम से बटन दबाते ही गूगल रूपी जिन्न को पेश कर देता है। गूगल सहायक से बोलते ही वह संसार की हर जानकारी आपके आगे पेश कर देता है। परंतु क्या किसी शहर के लोग बुद्धिमानी से इस मोबाइल का इतना अच्छा उपयोग भी कर सकते हैं जितना मेरे प्यारे उज्जैन के कुछ प्रबुद्ध नागरिकों ने ‘उज्जैन वाले’ ग्रुप बनाकर किया है? हो सकता है अन्य शहरों में भी हो परंतु मुझे तो मेरे शहर के ‘उज्जैन वाले’ ग्रुप से ही वास्ता है दूसरों के बारे में जानकारी भी नहीं है और रखना भी नहीं चाहता हूँ।
1,51,000 (एक लाख इक्वायन हजार) सदस्यों वाले इस ‘उज्जैन वाले’ पब्लिक फेसबुक गु्रप का गठन 27 फरवरी 2017 को हुआ था। उज्जैन शहर का नाम विश्व फलक पर लाने एवं इसके सर्वांगीण विकास के उद्देश्य से गठित इस ग्रुप ने नागरिकों को उनके रोजमर्रा के जीवन में सोश्यल मीडिया के सशक्त हस्ताक्षर से अवगत करा कर यह सिद्ध भी किया कि एकता में असीमित शक्ति होती है।
जिन छोटी-छोटी चीजों या बातों के लिये नागरिकों को कोई सलाह या बताने वाला नहीं होता था वह जानकारी इस ग्रुप में सलाह या राय मांगते मिनट के अंदर मिल जाती है। आपको प्लम्बर, कारपेंटर, पेन्टर, इलेक्ट्रिशियन, कारीगर, अच्छे चिकित्सक का नाम, टे्रवल्स की जानकारी, प्लाट, दुकान, मकान खरीदना या बेचना हो, रक्त की आवश्यकता हो, बाहर पर्यटन पर जाना हो तो वहाँ की जानकारी और अनुभव जानना चाहते हो तो बस ग्रुप पर संदेश टाईप कीजिये आपके सारे प्रश्नों और जिज्ञासाओं के जवाब मिल जायेंगे।
कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान उज्जैन वाले ग्रुप ने कुछ जरूरतमंद लोगों के जीवन में देवदूत बनकर काम किया है। लोगों को ब्याज मुक्त सूक्ष्म ऋण, नि:शुल्क भोजन, राशन, दवाइयां मुहैया कराने का कार्य भी ग्रुप के सक्षम लोगों की मदद लेकर किया गया। ग्रुप ने अपने सार्वजनिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए उज्जैन शहर के पौराणिक, पुरातात्विक महत्व के स्थानों का हेरीटेज वाक के माध्यम से परिचय करवाया, पौधारोपण संवर्धन का कार्य भी किया।
ग्रुप ने उज्जैन की प्रतिभाओं को लोगों के बीच लाने के लिये मंच दिया। बीते दिनों कॉसमॉस मॉल में दो दिवसीय खाने की चीजों का मेला लगाया गया जिसमें उज्जैन के नागरिकों को मराठी, पंजाबी, सिंधी, उत्तर भारतीय, मालवी, चाईनीज व्यंजनों का स्वाद एक ही जगह पर चखने का मौका मिला। इस व्यंजन मेले के कारण शहर की अनेक प्रतिभाएँ सामने आयी और रोजगार भी मिला।
उज्जैन वाले ग्रुप बेरोजगारों को रोजगार दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। किसी को भी चौकीदार, लिपिक प्रबंधक, खाने बनाने वाले लोगों की जरूरत होती है तो उनके ग्रुप में संदेश डालते ही जरूरतमंद व्यक्ति संपर्क कर लेता है। घर का सामान, वाहन या अन्य कोई भी सामान खरीदने या बेचने के लिये यह ग्रुप बहुत उपयोगी साबित हो रहा है। उज्जैन वाले ग्रुप के सदस्यों ने अभी हाल ही में ऐतिहासिक घंटाघर की रंगाई-पुताई जनसहयोग से करवाकर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
बधाई ‘उज्जैन वाले’