15 गवाहों के हुए कोर्ट में बयान, पांच वर्ष पूर्व हुई वारदात में बीच बचाव को आए माता-पिता को भी मारे थे चाकू
धार, अग्निपथ। शहर के महाजन अस्पताल के सामने चाय की गुमटी पर युवक की हत्या मामले में न्यायालय ने आरोपी को आजीवन कारावास के साथ अर्थदंड से दंडित किया है। आरोपी ने पानी भरने की बात को लेकर 5 वर्ष पूर्व युवक की चाकू गोदकर हत्या कर दी थी।
17 दिसंबर 2019 को महाजन अस्पताल के सामने चाय नाश्ते की गुमटी चलाने वाला ललसिंह पिता जगन्नाथ निवासी ग्राम फुलेडी कानवन और उसका बेटे रोहित अस्पताल के अंदर पानी भरने गए थे, तो वहां पर काम करने वाली तुलसीबाई और पति मनोज ने उन्हें पानी भरने से मना कर दिया था।
जिसके बाद लालसिंह और रोहित पानी भरकर गुमटी पर लेकर आ गए थे, पीछे से तुलसीबाई और मनोज भी आ गए और दोनों से विवाद करने लगे, रोहित द्वारा दोनों को विवाद करने से रोका तो मनोज ने धारदार चाकू से रोहित के सीने पर चाकू मार दिया। लालसिंह और उसकी पत्नी प्रेमबाई बेटे को बचाने गए तो मनोज ने उन दोनों पर चाकू से हमला कर दयिा था।
लालसिंह को पेट और उसकी पत्नी प्रेमबाई को सीने के अंदर चाकू लगे थे। मनोज की पत्नी तुलसीबाई ने भी दोनों लोगो के साथ मारपीट कर दोनों वहां से भाग गए थे। तीनों घायलों को एबुलेंस की मदद से जिला अस्पताल लाया था जहां इलाज के दौरान रोहित की मौत हो गई थी।
लालसिंह को ज्यादा चौट लगने से उसे उपचार के लिए इंदौर के एमवाईएच रैफर किया गया था। लालसिंह की रिपोर्ट पर आरोपी मनोज और तुलसीबाई के वरिुध्द अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में पूर्व कर तुलसीबाई को गिरफ्तार कर फरार आरोपी मनोज के विरुध्द धारा 173 (8) दण्ड प्रक्रिया संहिता के तहत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। आरोपी मनोज उर्फ मांगीलाल द्वारा घटना कर फरार हो गया था ।
1 फरवरी के दौरान आरोपी द्वारा देपालपुर थाना में धारा 307, 353 का अपराध करने से उसे गिरफ्तार कर उप जेल देपालपुर जिला इंदौर में भेजा जाने से आरोपी मनोज का प्रोडक्शन वारंट जारी करवाकर दिनांक 21 फरवरी 2024 को गिरफ्तार कर अनुसंधान पूर्ण कर अभियोगपत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया किया।
अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत करने के पश्चात विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा कुल 15 साक्षियों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। अभियोजन द्वारा प्रस्तुत प्रत्यक्ष साक्ष्य को संदेह से परे प्रमाणित मानकर आरोपी मनोज उर्फ मांगीलाल को धारा 302 में आजीवन कारावास एवं 2 हजार रूपये के अर्थदंड तथा धारा 307 में दो बार 10-10 वर्ष का कठोर कारावास एवं दो-दो हजार रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी टी.सी. बिल्लौरे, उप-संचालक और रामदास जमरे अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी द्वारा की गई।