शुभारंभ के पहले ही टूटने लगी सम्राट अशोक ब्रिज की रैलिंग

महाकाल के पास रुद्रसागर पर बने 22.5 करोड़ के पुल की गुणवत्ता पर सवाल

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर के पास रुद्रसागर पर बना सम्राट अशोक सेतु जनता के लिए खुलने के पहले ही अपनी कमजोर स्थिति खुद ही दर्शा रहा है। इस पुल की रैलिंग शुभारंभ के पहले ही टूटने लगी है। हालांकि पुल का लोकार्पण मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 5 फरवरी को कर चुके हैं, लेकिन अभी तक इसे आम जनता के लिये नहीं खोला गया है। इसी बीच कमजोर रैलिंग और टूटी हुये खंबो के फोटो सामने आये हैं।

श्री महाकालेश्वर दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा मिले और कम से कम समय में वे श्री महाकालेश्वर के आंगन में पहुंच जाएं इसके लिए रुद्रसागर पर पैदल पुल बनाया गया है। 22.5 करोड़ रुपए से बनाए इस अशोक सेतु का लोकार्पण 15 फरवरी को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया था। 73 दिन बाद भी यह श्रद्धालुओं के लिए खोला नहीं गया है।

पुल पर पहुंचने शक्तिपथ की ओर लगाई रैलिंग (विल्सियां) टूट गई हैं। पुल का निर्माण उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने करवाया है। कंपनी के सीईओ का कहना है कि पुल का एक सप्ताह में श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा।

सवाल यह है

पुल श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बनाया गया था। खोलने के पहले ही उसकी रैलिंग टूट गई गई हैं तो आखिर उन्हें भविष्य में सुविधा के साथ सुरक्षा का दावा कैसे किया जा सकता है। रुद्र सागर के ऊपर बनाया पैदल पुल 200 मीटर लंबा और 9 मीटर चौड़ा है। दो साल में इसका निर्माण पूरा किया जा सका है। रुद्रसागर के बीच में पुल बनाने का उद्देश्य यह रखा गया था कि इससे श्रद्धालुओं को एक सीधा मार्ग महाकालेश्वर के आंगन में पहुंचने के लिए मिल सकेगा।

अभी एक किलोमीटर का चक्कर लगा रहे श्रद्धालु

पैदल पुल बंद होने से श्रद्धालुओं को चारधाम के सामने से शक्तिपथ होकर त्रिवेणी संग्रहालय के पास से महाकाल में प्रवेश करना पड़ है। यहां से मानसरोवर होते हुए वे महाकालेश्वर दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। पैदल पुल का निर्माण चारधाम और शक्तिपथ के बीच में बनाया गया है। यह शक्तिपथ को सीधा मानसरोवर से जोड़ता है। ऐसे में पुल बंद होने से उन्हें मानसरोवर द्वार तक पहुंचने में एक किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

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