साध्य योग में आने से सिद्धियों के लिए विशेष महत्व
उज्जैन, अग्निपथ। वर्ष 2021 की पहली शनिश्चरी अमावस्या फाल्गुन माह में 13 मार्च को आइ है। लेकिन शिप्रा के त्रिवेणी घाट पर पिछले दिनों पानी में हुए विस्फोटों के कारण दोनों घाटों पर पर्व स्नान प्रतिबंधित कर दिया गया है। यहां पर केवल फव्वारों से ही स्नान होगा। नर्मदा का साफ जल जिला प्रशासन ने शनिश्चरी स्नान के लिए पहले ही क्षिप्रा में छोड़ दिया था।
पिछले दिनों 26 फरवरी से त्रिवेणी के घाटों पर पानी में विस्फोट की घटनाएं हुई थीं। जियोलाजिक सर्वे ऑफ इंडिया की टीम ने आकर यहां की मिट्टी के नमूने लिए थे। इसकी जांच रिपोर्ट भी दे दी गई है। जांच में यहां पर मिथेन और इथेन गैस की उपलब्धता पाई गई है। इसी के मद्देनजर कलेक्टर आशीषसिंह ने त्रिवेणी के दोनों वीआईपी घाटों पर श्रद्धालुओं के स्नान को प्रतिबंधित किया है। घाटों पर लगे फव्वारों में ही स्नान करवाया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य और पंचागकर्ता पं. श्यामनारायण व्यास ने बताया कि आज शनिश्चरी अमावस्या पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र, साध्य योग और नागकरण में आ रही। यह अमावस्या विशेष फलदायी है। इस दिन सूर्य और चंद्र दोनों शनि की राशि कुंभ में रहने से शनि की साढ़ेसाती, लघु कल्याणी ढैया, कालसर्प दोष, पितृ दोष, नाग दोष और सूर्य-चंद्र ग्रहण दोष से पीडि़त जातकों के लिए विशेष अवसर है जब वे कुछ विशिष्ट उपाय करके अपने इन दोषों को दूर कर सकते हैं।
पितरों के निमित्त करें कर्म
पं. श्री व्यास ने बताया कि अमावस्या तिथि शनिवार दोपहर 3.52 बजे तक रहेगी। अमावस्या का सोमवार, मंगलवार और शनिवार के दिन आना विशेष फलदायी होता है। सोमवार को सोमवती अमावस्या, मंगलवार को भौम अमावस्या और शनिवार को शनिश्चरी अमावस्या कहलाती है। अमावस्या पितरों की तिथि होती है, इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण, दान आदि कर्म किए जाने चाहिए। इस बार शनिश्चरी अमावस्या का योग बना है। यह अमावस्या साध्य योग में आ रही है इसलिए कई प्रकार की साधना, सिद्धियों की प्राप्ति के लिए इसका महत्व अधिक है।