अंकपात स्थित मंदिर में सुबह 8 बजे से शुरू हुआ दर्शनों का दौर दिनभर चला
उज्जैन, अग्निपथ। अक्षय तृतीया पर अंकपात मार्ग स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर में दिनभर चरण दर्शन का दौर चला। साल में सिर्फ एक दिन अक्षय तृतीया पर श्री बांके बिहारी के दर्शन कराने की परंपरा है, जिसका आज निर्वहन किया गया।
संतश्री पं. हरिनारायण शास्त्री ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन बुधवार को सुबह आठ बजे आरती के उपरांत भगवान के चरण दर्शन प्रारंभ हुए जो रात रात 10 बजे तक चले। सुबह आरती उपरांत भोग लगाया गया और प्रसादी वितरण भी हुआ।
पं. हरिनारायण शास्त्री ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान श्रीहरि के चरण दर्शन का विशेष महत्व है। ठाकुर जी श्री बांके बिहारी के चरण साल के अन्य दिनों में छिपे रहते हैं। साल में सिर्फ एक ही दिन इन्हें दर्शन के लिए खुला रखा जाता है। अक्षय तृतीया पर वृंदावन सहित देश के सभी मंदिरों में श्री बांके बिहारी के दर्शन की परंपरा है। अक्षय तृतीया पर चरण दर्शन के लिये लाखों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं।
अक्षय तृतीया पर मंदिरों में जलपात्र अर्पित, शिवालयों में हुआ जलाभिषेक
अक्षय तृतीया पर बुधवार को शहर के प्रमुख मंदिरों में भारी संख्या में भक्त पहुंचे। भक्तों ने मंदिरों में मिट्टी के कलश में जल और फल भरकर ब्राह्मणों को दान किया। शिवालयों में भगवान का जलाभिषेक भी किया गया। श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में इस दिन भगवान परशुराम का जन्मोत्सव मनाया गया।
मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर किया गया दान कभी क्षय नहीं होता। मिट्टी के कलश में जल, शकर और फल का दान घर में अक्षय समृद्धि लाता है। गर्मी के मौसम में मिट्टी की मटकी का दान वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसे उपयोग करने वाले को शीतलता मिलती है। इस अवसर पर प्याऊ लगाने और पक्षियों के लिए पानी के सकोरे रखने का भी विशेष महत्व है।