नगरीय निकाय के पूर्व पंचायत चुनाव की कवायद: मंहगाई से त्रस्त जनता के सामने जाने में भाजपा हिचक रही, इसलिए निगम चुनाव टाले जा रहे

उज्जैन,अग्निपथ। मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव पर संकट के बादल मंडराए हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता दिखावे के लिए यह जरूर कह रह हैं कि हम चुनाव के लिए तैयार हैं, परंतु आंतरिक रुप से उसकी हालात नासाज है। महंगाई, बेरोजगारी आदि से त्रस्त जनता काफी परेशान है। एनकेन तरीके इन चुनाव को कोरोना, परीक्षाएं तथा बड़ी संख्या में भाजपा नेता पश्चिम बंगाल चुनाव में व्यस्त होने की वजह से चुनाव टालने की बीजेपी फिराक में हैं।

हालांकि निर्वाचन आयोग कह चुका है कि उसकी चुनाव को लेकर सारी तैयारियां हैं। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि बिना दलीय आधार पर होने वाले पंचायत चुनाव, नगरीय निकाय चुनाव के पूर्व कराए जाने की तैयारिया निर्वाचन आयोग ने शुरू कर दी गई है।

मध्यप्रदेश में पिछले काफी दिनों से नगरीय निकाय चुनाव को लेकर दोनों ही दलों के द्वारा तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। कांग्रेस पार्टी की ओर से पर्यवेक्षक नियुक्ति के बाद पूरे प्रदेश में सम्मेलन के माध्यम से दावेदारों के बीच प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया के माध्यम से आगे बढ़ाया गया है।

भारतीय जनता पार्टी के द्वारा भी मप्र नगरीय निकाय चुनाव समिति बनाए जाने के बाद पार्टी का घोषणा पत्र तैयार करने के लिए सुझाव भी कार्यकर्ताओं तथा आम जनता से आमंत्रित किए जा रहे हैं। परंतु बीजेपी के सामने शहरी क्षेत्र के मतदाताओं का सामना करने के लिए वह वह तैयार नहीं है।

शिवराज सरकार के एक साल के कार्यकाल की कोई बड़ी उपलब्धि सामने नहीं है। जबकि महंगाई आसमान छू रही है। प्रदेश में सबसे ज्यादा डीजल-पेट्रोल पर वेट लगाकर प्रदेश सरकार अपना खजाना भर रही है। इसके अलावा सभी खाद्य पदार्थ और आवश्यक वस्तुओं के दाम भी लोगों की जेब पर भारी पड़ रहे हैं। यह बात सरकार के एवं भारतीय जनता पार्टी के सारे नेता जानते और समझते हैं।

इसी वजह से नगरीय निकाय चुनाव आगे बढ़ाने की कवायद की जा रही है। नगरी निकाय चुनाव में अगर भारतीय जनता पार्टी चुनाव हारती है तो उसे राजनीतिक रूप से भारी धक्का लगेगा। इसलिए इसे आगे बढ़ाई जाने का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है। जबकि सरकारी मशीनरी को निर्देश दे दिए गए हैं कि पंचायत चुनाव के लिए तैयारी करें।

हालाकि पंचायत चुनाव पर भी किसान आंदोलन का साया मंडराया हुआ है, परंतु मध्यप्रदेश में इसका आंशिक असर ही नजर आ रहा है। फिर सबसे बड़ा फायदा भारतीय जनता पार्टी को यह होने वाला है कि यह चुनाव दलीय आधार पर नहीं होंगे, इस बहाने प्रदेश की जनता की नब्ज भी पंचायत चुनाव में टटोली जायेगी।

इन चुनावों में बीजेपी को अगर पराजय भी मिलती है तो यह माना जाएगा की पार्टी ने कोई इसमें सक्रिय रूप से भागीदारी नहीं की। इसीलिए नगरीय निकाय चुनाव के पूर्व भारतीय जनता पार्टी का पूरा जोर पंचायत चुनाव कराए जाने पर केंद्रित हो गया है।

आयोग ने दिए पंचायत चुनाव की तैयारी के निर्देश

प्रदेश के निर्वाचन आयोग ने सभी जिला कलेक्टरों से त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अपनी सहमति और जानकारी मांगी है। यह पंचायत चुनाव तीन चरणों में कराए जायेंगे। इसके लिए सभी जिला कलेक्टरों को तैयारी के निर्देश दिए गए हैं।

जिला पंचायत अध्यक्ष का आरक्षण अभी हुआ नहीं है। यह आरक्षण भोपाल में किया जाना है। यह आरक्षण कभी भी दो घंटे में कर लिया जाएगा। उज्जैन जिला पंचायत अध्यक्ष करण कुमारिया के मुताबिक पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूचियोंं का अंतिम प्रकाशन भी पूरा कर लिया गया है।

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