भागवत कथा के दूसरे दिन बोले कथा व्यास
खरगोन, अग्निपथ। श्रीकृष्ण नीति कहती है कि आतातायी जहां मिले वहीं उसका वध करना चाहिए। उसी तरह आतंकी जहां मिले उससे पूछताछ करके वही मार देना चाहिए, क्योंकि उस पकडक़र लाने के बाद देश के ही लोग उसके बचाव में खड़े हो जाते है। आधी रात में कोर्ट खुलवाते है, ऐसा लगता है आतंकियों के सारे रिश्तेदार यही है।
उक्त विचार प्रख्यात कथावाचक डॉ. श्यामसुंदर पाराशर ने समीपी ग्राम टेमला में चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन महाभारत प्रसंग सुनाते हुए व्यक्त किए।
श्रीकृष्ण चैतन्य संकीर्तन समिति के हरे राम संकीर्तन के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित कथा के दौरान हजारों की संख्या में श्रोता कथास्थल पहुंच रहे है। डॉ. पाराशर ने कहा कि भागवत पावन ग्रंथ है, इसके श्रवण से हमारे जीवन में सोया हुआ ज्ञान, वैराग्य और भक्ति जाग जाती है। अर्थात भागवत भक्ति, ज्ञान, वैराग्य की त्रिवेणी है।
उन्होंने श्रीराम ओर श्रीकृष्ण चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि श्रीराम जितने सरल, सीधे, आदर्शवान है, श्रीकृष्ण ठीक इसके उलट उनका चरित्र विचित्र है। कभी वे चिर छिपाते है तो कभी चिर बढ़ाते है। उन्होंने महाभारत में बिना शस्त्र उठाए अर्धम का नाश किया, सत्य का साथ दिया। महाभारत में ही उन्होंने कहा है कि आतातायी जहां मिले वही उसका अंत करना चाहिए। इसी तरह आतंक और आतंकी भी जहां मिले उसका वहीं अंत कर देना चाहिए।
श्लोको का सुना रहे भावार्थ
कथा आयोजन समिति से जुड़े विधायक बालकृष्ण पाटीदार ने बताया कि यह कथा अनोखी है। कथा के दौरान भक्ति, ज्ञान, ईश वंदना के साथ.साथ परिवार और समाज की चिंता भी की जा रही है। यहां कथा श्लोको का भावार्थ समझाने के साथ ही संगीतमय श्लोको के माध्यम से भजन हो रहे है, जिसमें श्रोता लीन होकर कथा श्रवण कर रहे है।
दूसरे दिन कथा विराम के दौरान विधायक पाटीदार ने सपत्नि व्यासपूजन एवं महाआरती की। विराम आरती में भाजपा जिलाध्यक्ष नंदा ब्राह्मने,बड़वाह विधायक सचिन बिरला, कसरावद पूर्व विधायक आत्माराम पटेल, चन्दर वास्कले, जिला पंचायत उपाध्यक्ष बापूसिंह परिहार,महेंद्र यादव, बंटी तंवर भी शामिल हुए।
दोपहर 12 से 3 बजे तक होगी कथा
प्रचार-प्रमुख राम्या पाटीदार ने बताया कथा के पहले दिन रात्रि में आए आंधी- तुफान के चलते व्यवस्था प्रभावित होने के बाद भी रात्रि में ही तुफान थमने पर दोबारा व्यवस्था सुचारु होने पर कथावाचक डॉ. पाराशर ने आयोजन समिति की सराहना करते हुए कहा कि धन्य है टेमलावासी जिन्होंने इतने बड़े तुफान में भी व्यवस्थाएं प्रभावित नही होने दी। कथा के तीसरे दिन बुधवार से कथा का समय दोपहर 12 से 3 बजे तक किया गया है।