एक्सीडेंटल और हार्ट अटैक सहित पाइजनिंग, स्नैक बाइट, बर्न के मरीजों का किया जा रहा इलाज
उज्जैन, अग्निपथ। केन्द्र सहित प्रदेश सरकार के निर्देश पर रोड एक्सीडेंट, बेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक की घटनाओं में हो रही मौतों को लेकर चरक अस्पताल में इमरजेंसी मेडिकल सर्विसेज को अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में शुरू किया गया था।
जिसमें उक्त घटनाओं से पीडि़त मरीज को गोल्डन पीरियड में ही इलाज मिल रहा है, जिससे उनकी जिंदगी बच रही है। इसके लिये चरक अस्पताल से चार स्वास्थ्य कर्मचारियों का दल पिछले दिनों दिल्ली के एम्स से प्रशिक्षण लेकर लौटा था।
उज्जैन के चरक अस्पताल में भी इमरजेंसी मेडिकल सर्विसेस हेतु चैंपियन ऑफ चेंज प्रशिक्षण के लिए डॉ. निधि जैन, डॉ. अभिषेक जाटवा, मेल नर्स अनिल राठौर, नसिंग आफिसर शालू राठौर प्रशिक्षण के लिये दिली के एम्स हास्पीटल गई थी, जहां उनको 6 दिन का प्रशिक्षण दिया गया था।
ट्रेनिंग लेकर लौटे डॉ. अभिषेक जाटवा ने बताया ट्रेनिंग इसलिये दी गई है ताकि आईसीयू में मरीज को भर्ती करने से पहले ही इमरजेंसी आब्जर्वेशन रूम में गोल्डन पीरियड में रोड एक्सीडेंट, बे्रन स्ट्रोक और हार्ट अटैक सहित दस ऐसी बीमारी जिससे मौत का खतरा है, उनका इलाज मरीज को तुरंत मिल सके।
18 दिन में 390 मरीजों को इलाज
चरक अस्पताल के आब्जर्वेशन रूम में काम शुरु किये 18 दिन हो गये हैं। यहां पर एक्सीडेंटल, हार्ट अटैक, बर्न, पाइजन, स्नैक बाइट के मरीजों को तुरंत इलाज दिया जा रहा है। अभी तक उपरोक्त बीमारी के 390 मरीजों को इलाज मिल चुका है। आब्जर्वेशन रूम में इको कार्डियोलॉजी, पीएफटी (लंग टेस्ट), सीपीआर, आक्सीजन देने सहित सारी सुविधाएं मौजूद हैं। ज्ञात रहे कि यूपी, असम, अरुणाचल प्रदेश और केरल के बाद मप्र में इस तरह का ट्रीटमेंट सरकारी अस्पतालों में मिलना शुरू हो गया है।
उज्जैन को बनाया जायेगा मॉडल
मरीज को इमरजेंसी सुविधाएं देने के लिये इस तरह का प्रयोग प्रदेश सरकार करने जा रही है। उज्जैन के चरक अस्पताल को मॉडल अस्पताल का दर्जा दिया जायेगा। चरक अस्पताल में चार लोगों की एक टीम है। आब्जर्वेशन रूम में रेड जोन, यलो जोन, ग्रीन जोन और ब्लैक जोन बनाया गया है। यहा पर इमरजेंसी में जिसे मरीज को सबसे पहले इलाज देने की जरूरत है, इस हिसाब से उनका ट्रीटमेंट किया जा रहा है। यहां पर ट्रीटमेंट के बाद उनको आईसीयू में शिफ्ट किया जा रहा है।
हार्ट अटैक के यंग मरीज अधिक आ रहे
इमरजेंसी आब्जर्वेशन रूम के प्रभारी डॉ. अभिषेक जाटवा ने बताया कि एक्सीडेंटल और हार्ट अटैक के मरीज सबसे ज्यादा आ रहे हैं। हार्ट अटैक के ऐसे मरीज जिनकी उम्र 30 से 50 के बीच है, ऐसे यंग मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। जोकि चिंता का विषय है। यदि हार्ट के मरीजों को गोल्डन पीरियड जोकि 90 मिनट का रहता है, इस अवधि में मरीज को उपचार मिल जाय तो उसकी जान बच सकती है। इसलिये मरीज के परिजनों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि गोल्डन पीरियड को व्यर्थ गंवाया ना जाय।
इनका कहना
इमरजेंसी आब्जर्वेशन रूम बनाये जाने से गंभीर बीमारी से पीडि़त मरीजों को तुरंत इलाज मिल रहा है।
-डॉ. अजय दिवाकर, सिविल सर्जन