राष्ट्रीय कार्यशाला में कुलगुरू ने रखा डिजिटल पाठ्यक्रमों को सुदृढ़ करने और व्यापक स्तर पर लागू करने का प्रस्ताव

विश्वविद्यालय की डिजिटल पहलों और भविष्य की योजनाओं को विस्तार से साझा किया

उज्जैन, अग्निपथ। नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के परिसर में शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के कुलगुरु प्रोफेसर अर्पण भारद्वाज ने उच्च शिक्षा संस्थानों में डिजिटल पाठ्यक्रमो को सुदृढ़ करने और व्यापक स्तर पर लागू करने का एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

यह कार्यशाला बहु-विषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालयों पर केंद्रित थी और इसका आयोजन प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान के अंतर्गत किया गया। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने इस दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस अवसर पर भारत सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनीत जोशी, शिक्षा मंत्रालय के अपर सचिव सुनील कुमार बर्णवाल, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. टी. जी. सीथाराम, राष्ट्रीय शैक्षिक तकनीकी फोरम की अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार सहित कार्यशाला में देशभर के 64 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशकगण उपस्थित थे।

प्रो. अर्पण भारद्वाज ने कार्यशाला के विशेष सत्र में ‘उच्च शिक्षा में डिजिटल इनिशिएटिव’ विषय पर 15-बिंदुओं का एक कार्ययोजना (रोडमैप) प्रस्तुत किया। उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में स्वयं, स्वयं-प्लस, साथी, एबीसीडी आईडी (एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट) एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) जैसे ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से संचालित पाठ्यक्रमों को नियमित शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में अनिवार्य रूप से समाहित किये जाना चाहिए।

ऑनलाइन पाठ्यक्रमों क्यों अनिवार्य

प्रो. भारद्वाज ने लघुकालीन एवं दीर्घकालीन कार्ययोजना के माध्यम से समझाया की क्यों ऑनलाइन पाठ्यक्रमों को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए, ताकि छात्रों को कौशल-आधारित एवं रोजगारोन्मुख शिक्षा प्रदान की जा सके, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (नेप 2020) एवं वैश्विक मानकों के अनुरूप हो। उन्होंने डिजिटल नवाचार केंद्रों की स्थापना, डिजिटल पुस्तकालयों का निर्माण, अनुसंधान अवसंरचना का सुदृढ़ीकरण और शिक्षा में लचीलापन बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

कार्यशाला के समापन सत्र में भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने संबोधित करते हुए कहा कि बहु-विषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था की दिशा में अग्रसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने विश्वविद्यालयों से डिजिटल परिवर्तन, अनुसंधान नवाचार, तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्यों को जमीनी स्तर पर लागू करने का आह्वान किया। प्रधान ने शिक्षाविदों, कुलपतियों और नीति-निर्माताओं से आग्रह किया कि वे स्थानीय आवश्यकताओं और वैश्विक मानकों के बीच संतुलन बनाते हुए उच्च शिक्षा को रोजगारोन्मुख, समावेशी और भविष्योन्मुख बनाएँ।

क्षेत्रीय संघ का प्रतिनिधित्व

इस कार्यशाला में विक्रम विश्वविद्यालय ने सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय, पुणे, पद्मावती महिला विश्वविद्यालय, तिरुपति, जम्मू विश्वविद्यालय, जम्मू एवं कलकत्ता विश्वविद्यालय, कलकत्ता के साथ मिलकर एक क्षेत्रीय संघ का प्रतिनिधित्व किया। इस महत्वपूर्ण कार्यशाला में विक्रम विश्वविद्यालय से प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान के नोडल अधिकारी एवं प्रोद्योगिकी संकाय के अध्यक्ष प्रो. कमलेश ठतने तथा तकनीकी विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो. उमेश कुमार सिंह ने भी सहभागिता कर विश्वविद्यालय की डिजिटल पहलों और भविष्य की योजनाओं को विस्तार से साझा किया।

Next Post

सिंहस्थ के पहले 11 सडक़ों के निर्माण की अनुशंसा

Fri May 9 , 2025
नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सिंहस्थ की समीक्षा उज्जैन, अग्निपथ। मध्यप्रदेश शासन के नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय शुक्ला की अध्यक्षता में सिंहस्थ 2028 के कार्यों के क्रियान्वयन के लिए वीसी से 9 मई को दोपहर 12 बजे […]