राहु-केतु का 18 मई को राशि परिवर्तन होगा

राजनीति, विदेश नीति और युद्ध नीति में बदलाव की संभावना

उज्जैन, अग्निपथ। राहु और केतु का राशि परिवर्तन 18 मई को शाम 5.20 बजे होगा। राहु कुंभ राशि में और केतु सिंह राशि में प्रवेश करेंगे। यह परिवर्तन 18 साल बाद हो रहा है। वर्तमान में राहु मीन राशि में और केतु कन्या राशि में स्थित हैं।

पं. अमर डिब्बावाला ने बताया कि कुंभ राशि के स्वामी शनि हैं और सिंह राशि के स्वामी सूर्य हैं। इस गोचर का सबसे ज्यादा प्रभाव पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत में देखने को मिलेगा। आने वाले दो महीनों में भारत की राजनीति, विदेश नीति और युद्ध नीति में बदलाव की संभावना है।

विश्व राजनीति में भी इसका असर दिखेगा

29 मार्च को शनि ने मीन राशि में प्रवेश किया है। अब राहु के कुंभ राशि में प्रवेश से शनि-राहु का द्वादश योग बनेगा। जिससे विश्व राजनीति में उथल-पुथल हो सकती है। इसका असर बाजार और व्यापार पर भी दिखाई देगा। न्यायिक और संवैधानिक मामलों में भी नए प्रकार के निर्णय आ सकते हैं। मंगल और राहु के बीच खड़ा अष्टक योग बनने से युद्ध की मानसिकता वाले देशों के लिए यह समय महत्वपूर्ण होगा। यह योग राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक बदलावों का संकेत दे रहा है।

30 जून तक बड़े नेताओं को रहना होगा संभलकर, चार ग्रहों के कारण बिगड़ सकती है इमेज

1 मई से 30 जून तक दुनिया के बड़े लोगों को संभलकर रहना होगा। इस समय विश्व के शीर्ष नेतृत्व वाले लोग परेशान हो सकते हैं। इन दिनों शनि, गुरु, राहु और मंगल के कारण उथल-पुथल और चिंता वाला समय रहेगा। ज्योतिषाचार्य हेमंत कासट का कहना है कि अभी शनि मीन राशि में है। ये गुरु की राशि है। वहीं, 14 मई को गुरु अतिचारी होकर मिथुन राशि में प्रवेश करेगा।

18 मई को राहु कुंभ राशि में प्रवेश करेगा और मंगल अभी नीच राशि में ही चल रहा है। गुरु के कारण शीर्ष नेतृत्व के लोग अपनी इमेज सुधारने के लिए तेजी से फैसले लेंगे। शनि के कारण उनके फैसले कामगार और मजदूर लोगों के लिए नुकसान दायक हो सकते हैं। इससे कई देशों में अराजकता का माहौल बनेगा। राहु के कारण जनता के बीच इन लोगों की इमेज बिगड़ेगी।

मंगल के कारण सेनाओं का मनोबल कमजोर होगा। इससे व्यवस्थाओं को संभालना मुश्किल होगा। कमजोर मनोबल के कारण सुरक्षाकर्मी फायदे की कामना से किसी के बहकावे में आकर अपनी निष्ठा से समझौता कर सकते हैं। मंगल के कारण शीर्ष नेतृत्व की सुरक्षा में लगे की सुरक्षा कर्मचारियों का मनोबल भी कमजोर होगा। इससे सुरक्षा में चूक हो सकती है।

इन स्थितियों से बचने के लिए धैर्य से फैसले लेने होंगे। जल्दबाजी से बचें। 30 जून तक कामगारों और मजदूरों को हड़ताल या प्रदर्शन का मौका नहीं दें। अपने साथ अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी नियुक्त करें। सुरक्षा बलों का विशेष रूप से ध्यान रखें।

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