मैकेनिकल इंजीनियर बुजुर्ग को भिखारी समझकर इंदौर प्रशासन ने आश्रम भेजा

मीसाबंदी भी हैं बुजुर्ग, 10 लाख का बैंक बैलेंस

उज्जैन, अग्निपथ। शहर को भिक्षुक मुक्त करने के लिये उत्साहित इंदौर प्रशासन ने एक ऐसे बुजुर्ग को भिखारी समझकर उज्जैन के सेवाधाम आश्रम भेज दिया जो पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर है, मीसाबंद रह चुके हैं और उनका बैंक बैलेंस भी 10 लाख रुपए से अधिक है।
पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर बुजुर्ग देवव्रत चौधरी (72) फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं। जब आश्रम मेें उनका रहन-सहन और बोलचाल की शैली देखी गई तो यह सच्चाई सामने आई।

देवव्रत कहते हैं कि उन्होंने मुंबई की कई बड़ी कंपनियों में काम किया। आज उनके खाते में 10 लाख रुपए से अधिक का बैंक बैलेंस है। मीसाबंदी की 30 हजार रुपए महीना पेंशन भी उनको मिलती है। उनके एक भाई कर्नल और दूसरे बैंक में अधिकारी रहे हैं।

श्री गोविंदराम सेकसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (एसजीआईटीएस) कॉलेज इंदौर से मैकेनिकल ब्रांच से इंजीनियरिंग की हैं। देवव्रत चौधरी 1975 में इंजीनियरिंग करने के दौरान एसजीआईटीएस कॉलेज में प्रेसिडेंट भी रहे। उन्होंने शादी नहीं की है।

मुंबई में बड़ी कम्पनियों में इंजीनियर के पद पर नौकरी की। १980 में गांधीवादी नेता विनोबा भावे के साथ जुड़े और 11 गांव में गैस प्लांट बनाए। करीब 35 वर्षों तक विनोबा भावे के आश्रम में रहने के बाद वे इंदौर में कुलकर्णी भट्टे में 3500 रुपए महीने के किराए पर मकान में रहने लगे।

इंदौर निवासी देवव्रत चौधरी को इंदौर के राजवाड़ा क्षेत्र से पकड़े गये भिक्षावृत्ति के 425 आरोपियों के साथ सेवाधाम आश्रम उज्जैन भेजा गया था। अपने अकेले पन से परेशान देवव्रत का मन अब सेवाधाम में रम गया है और वे अब आगे का समय भी यहीं व्यतीत करना चाहते हैं।

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