एक भी दोष लेकर तथा एक भी गुण छोड़ के आत्मा मोक्ष में नहीं जा सकती हैं : जैनाचार्य मुक्तिप्रभसूरिजी
पेटलावद, अग्निपथ। झारखंड के सम्मेतशिखरजी महातीर्थ से करीबन 2 हजार कि.मी.की पदयात्रा कर मालवा की धरती पर पधारे जैनाचार्य मुक्तिप्रभ सूरीश्वरजी, जैनाचार्य पुण्यरक्षितसूरीजी एवं सागर समुदाय के जैनाचार्य विजयआनंदचंद्र सागरसूरिजी आदि 80 से अधिक जैन श्रमण-श्रमणि भगवन्तों का पेटलावद शहर में भव्य प्रवेश हुआ। स्वागत यात्रा में जैन समाजजनों ने जगह-जगह गुरुदेवों की अगवानी कर आशीर्वाद लिया।स्वागत यात्रा समापन प्रश्चात् वर्धमान स्थानक में धर्मसमा का आयोजन हुआ।
सर्वप्रथम सागर समुदाय के प्रवचनकार जैनाचार्य आनंदचन्द्रसागर सूरिजी ने अपने प्रवचन में एकता – विशालता एवं आत्मीयता का मिलन याने आज की स्वागत यात्रा एवं आज की धर्मसभा को रेखांकित किया। आपने फरमाया कि जैनशासन की एक महान विशोषता हैं कि भगवान मरावीर ने दो चर्या दिखाई। (1) आहारचर्या (2) विरारचर्चा ।
विहार चर्या में जैन साधुओ का छोटे-गांव में भी पदार्पण होता है। एवं आहार चर्या से छोटे-छोटे घरों में भी पदार्पण होता हैं। इसी तरह एर गाँव- एवं हर घर में जैन साधु की उपकार -सरिता बहती रहती है।
अपनी आत्मा को चार चीज की प्राप्ति दुर्लभ है : पुण्यरक्षितसूरिजी
तत्पश्चात जैनाचार्य पुण्यरक्षितसूरिजी ने फरमाया कि इस संसार चक्र में परिभ्रमण करती हुई अपनी आत्मा को चार चीज की प्राप्ति दुर्लभ है। जिनमें है। मानवजन्म, जिनवाणीश्रवण , भगवान के वचन पर श्रद्धा और संयमजीवन में पुरुषार्थ है।आपने मानव जन्म की दुर्लभता बताई वो इस दुर्लभ मानव जन्म की सही सफलता संयम जीवन में ही हैं । और जीपन में धर्म कर्तव्यों के पालन में कभी भी विलंब मत करना । पूज्य श्री ने पेटलावद श्री संघ की धर्मभावना की अनुमादेना की।
मोक्ष जाने का सीधा रास्ता एक ही
प्रमुख जैनाचार्य भी विजयमुक्तिप्रभसूरीश्वर मराराजा ने कहा कि मोक्ष में जाने का शॉर्ट वे – सीधा रास्ता एक ही हैं। दोषों को छोडक़र जहा जहा भी गुण देखने को मिले वहीं से गुण ग्रहण करों। एक भी दोष साथ में लेके आत्मा मोक्ष में जा सकती नहीं है। एक भी गुण को छोडे के भी आत्मा मोक्ष में जा सकती नहीं हैं।
पेटलावद जैन संघ के लिये आज की स्वागत यात्रा एवं धर्मसमा अविस्मरणीय रही। दो-दो समुदाय के तीन-तीन जैनाचार्यो की स्वागतयात्रा एवं धर्मप्रवचनों साथ में हुए। आज इस स्वागत यात्रा में रतलाम , बामनिया, झाबुआ, उन्हेल , रायपुरिया आदि अनेक गांवो के श्रावक- श्राविकाओं की उपस्थिति रही।
मुनि मंडल के आगमन पूर्व नवकारसी की आयोजन कांतिलाल चंपालाल मुरार एवं आयुष कुमार महेन्द्रजी गांधी परिवार की ओर से किया गया। धर्मसभा में स्थानकवासी श्रावक संघ के कार्य.अध्यक्ष मणिलाल चाणोदिया, महावीर समिति के अध्यक्ष संजय व्होरा, उपाध्यक्ष चेतन कटकानी सहित समग्र जैन समाज के श्रावक श्राविकाएं मौजूद रहे। धर्मसभा का संचालन राजेंद्र कटकानी ने किया।