महाकाल मंदिर में रोज कायदे-कानूनों को धता बताई जा रही है और जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। आए दिन यहां कोई न कोई अपने प्रभाव का असर दिखाकर मंदिर के कायदों को धता बता रहा है।
महाशिवरात्रि पर यहां एक भाजपा नेता अपनी रिवाल्वर लेकर मंदिर के अंदर घूम आए। मामले में कार्रवाई कुछ नहीं हुई। इसके पहले मंदिर के एक पुजारी अपने परिजनों को गर्भगृह में ले जाकर अभिषेक करा आए। यहां भी मंदिर प्रशासन ने मंदिर समिति के कर्मचारियों को दोषी मानते हुए दो कर्मचारियों पर कार्रवाई कर दी और नियम तोडऩे वाले सुरक्षित घूम रहे हैं।
ऐसी ही घटना लॉकडाउन के दौरान भी हुई हैं। जब किसी को भी मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं थी तब कुछ भाजपा नेता और एक बार इंदौर के कुछ मीडिया कर्मियों ने न सिर्फ महाकाल मंदिर में प्रवेश किया, बल्कि गर्भगृह तक पहुंचकर पूजा-अर्चना की। इन मामलों में भी कार्रवाई सिर्फ कर्मचारियों तक ही सीमित रही। ऐसे में सवाल यह उठता है कि महाकाल मंदिर के कायदे-कानून सिर्फ आम श्रद्धालुओं को ही मानने हैं। प्रभावशाली लोग अगर कानून तोड़ेंगे तो भी उन पर कार्रवाई नहीं होगी।