खबर का असर: गर्भगृह और चांदी गेट निरीक्षक को तो कर दिया निलंबित, पुजारी कार्रवाई से दूर

मामला पं. रमण त्रिवेदी के परिजनों द्वारा महाकाल गर्भगृह में अनाधिकृत प्रवेश कर फोटो-वीडियो वायरल करने का, कर्मचारियों में असंतोष

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व से एक दिन पूर्व मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश कर अभिषेक करने के मामले में पुजारी परिवार को बचाने पर कर्मचारियों में असंतोष व्याप्त है। मंदिर के गर्भगृह निरीक्षक और चांदी गेट निरीक्षक पर तो तुरंत कार्रवाई कर निलंबित कर दिया गया। जबकि नियमों की अवहेलना कर अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर गर्भगृह में प्रवेश करने वाले खुलेआम घूम रहे हैं और मंदिर में पूजा जैसे नित्यकर्म भी कर रहे है। उनके द्वारा हाल ही में बाहर से आए एडीजी के हाथों से अन्य पुजारियों की दक्षिणा झटकने का मामला भी प्रकाश में आया है।

केवल दैनिक अग्निपथ ने अपने 11 जनवरी के अंक में इस समाचार को प्रमुखता से उठाया था। महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित है। यह प्रतिबंध कोरोना शुरू होते ही लगाया गया था जो अभी-भी यथावत हैं। मंदिर में पंडे-पुजारी या फिर साधु संतो को प्रवेश की अनुमति है। लेकिन 10 मार्च को महाकाल के पुजारी पं. रमण गुरू की बेटी व दामाद अमित उपाध्याय ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए न सिर्फ गर्भगृह में प्रवेश किया, बल्कि अभिषेक भी किया और पूरे उपक्रम की फोटोग्राफी कर उसे सोशल मीडिया पर अपडेट कर दिया। पुजारी परिवार की यह चोरी और सीनाजोरी यानी सोशल मीडिया पर फोटो अपडेट करना भारी पड़ गया। मामला पकड़ में आया और तुरंत वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत हो गई। बाद में कार्रवाई होती देख पुजारी परिवार ने सोशल मीडिया से तुरंत फोटो हटा लिए।

दो कर्मचारियों को किया था निलंबित

इस मामले में प्रशासन ने गर्भगृह में प्रवेश और मंदिर के अंदर अनाधिकृत रूप से फोटोग्राफी करने पर गर्भगृह निरीक्षक राकेश श्रीवास्तव और चांदी गेट निरीक्षक नवीन शर्मा को निलंबित कर दिया था। इस घटना के बाद से सवाल यह उठ रहा है कि क्या सिर्फ कर्मचारी ही कार्रवाई के दायरे में आएंगे या फिर मंदिर में अपना प्रभाव दिखाने वाले पं. रमण गुरू व अंदर प्रवेश करने वाले पुजारी के परिजन भी कार्रवाई के दायरे में आएंगे। जबकि वह पुजारी प्रतिनिधि हैं। मुख्य पुजारी पं. दिनेश गुरु हैं। इनके द्वारा आज तक इस तरह कोई नियम विरुद्ध काम नहीं किया गया है।

पहले भी बच चुके नियम तोडऩे वाले

प्रतिबंध के बाद भी गर्भगृह में प्रवेश करने वाले पहले भी बख्शे गए हैं। कार्रवाई सिर्फ कर्मचारियों पर हुई है। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद भी इंदौर के कुछ लोग और सत्ताधारी पार्टी से जुड़े लोग न सिर्फ गर्भगृह में गए, बल्कि उन्होंने भी बेधडक़ सोशल मीडिया पर फोटो-वीडियो अपडेट किए। इन मामलों में भी कार्रवाई सिर्फ कर्मचारियों पर हुई, नियम तोडऩे वालों के खिलाफ अब तक सिर्फ जांच ही चल रही है।

मंदिर प्रशासन द्वारा जांच की नौटंकी

इस मामले में मंदिर समिति प्रशाासन का कहना है कि मामले की जांच चल रही है। फिलहाल प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई है। जांच रिपोर्ट में जो भी दोषी पाया जाएगा उन पर भी कार्रवाई होगी। यहां एक बात तो साफ है कि मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया गया है और प्रवेश करने वालों ने स्वयं ही इसका प्रमाण यानी फोटो और वीडियो फुटेज अपने सोशल साइट पर अपडेट किए हैं। दोषी खुद अपराध करने का प्रमाण दे रहे हैं, फिर भी जांच की औपचारिकता क्यों। दूसरा सबूत खुद महाकाल मंदिर के सीसीटीवी फुटेज देंगे।

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