बैंकों की हड़ताल शुरू, लोगों को परेशानियों का सामना

बैंक कर्मियों ने जुलूस निकालकर किया प्रदर्शन

उज्जैन,अग्निपथ। बैंकों के निजीकरण के विरोध में देश के दस लाख बैंक कर्मियों ने दो दिनी हड़ताल सोमवार से शुरू हुई। इस हड़ताल की वजह से बैंकों का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ, लेन-देन ना होने से आम लोगों के साथ व्यापारियों को भी बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हड़ताल के कारण दो दिन में शहर में करीब सवा सौ करोड़ रुपए का लेनदेन प्रभावित होने का अनुमान है, बैंक कर्मियों ने टावर चौक पर निजीकरण समाप्त करो के नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया।

पिछले तीन दिनों से लगातार बैंकों के बंद होने से आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। शनिवार-रविवार को बैंक अवकाश होने की वजह से और केंद्र सरकार की बैंकों के निजी करण के विरोध में सोमवार तथा मंगलवार को पूरी तरह हड़ताल रखने का यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियन ने पूरे देश में आव्हान किया था। उसी के तारतम्य में सोमवार को उज्जैन में भी बैंकों में पूरी तरह हड़ताल रही। यूनिटाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले बैंककर्मियो ने सुबह कई बैंककर्मियों ने बैंकों के समक्ष नारेबाजी कर प्रदर्शन किया गया। इसके बाद सामूहिक रूप से टावर चौक पर बैंक कर्मचारियों की आम सभा का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में शहर के बैंककर्मी मौजूद थे।

इस अवसर पर बैंक कर्मियों ने कहा कि देश में हर सरकारी संस्थानों का निजीकरण किया जा रहा है। अब मोदी सरकार ने बैंकों को भी निजी हाथों में सौंपने का निर्णय लिया है। जो देश के साथ आम लोगों के लिए भी आने वाले समय घातक परिणाम सामने आएंगे। इसकी वजह से बैंक कर्मियों को भी कई परेशानियों का सामना करने को मजबूर होना पड़ेगा। बैंक कर्मियों ने इस अवसर पर जमकर नारेबाजी की जिसमें धोखा है, विलीनीकरण धोखा है, सार्वजनिक बैंकों को मज़बूत बनाओ, आम आदमी को बैंकिंग सुविधाओं से वंचित मत करो, दूर दराज और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाओं के विस्तार को मत रोको, अधिकारी-कर्मचारी की सेवा शर्तों पे हमले बंद करो आदि नारे लगाए।

इसके पश्चात सभा को फ़ोरम में सम्मिलित विभिन्न एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने सम्बोधित किया। हेमंत श्रीवास्तव, राजेश गिरी, राजेंद्र नागर, केशव पण्ड्या, रवींद्र जेठवा, विपिन सितोलिया, प्रवीण मेहता, सुनील सोनी, विकास मालवीय, आशीष यादव, संतोष राव, अनिल मेहता, चेतन सोनी, अंकित वर्मा एवं महिलाओं में सोनिया गोयल, प्रांजल मांडलिया, गिलोरिया मसीह और विशेष रूप से नैतिक समर्थन के लिए एलआईसी के प्रशांत सोहले, कुलदीप सिंह, बीएसएनएल के मनोज शर्मा, ट्रेड यूनियन के राम त्यागी और कमल राय ने केंद्र की निजीकरण का विरोध करते हुए कहा कि बैंकों के सार्वजनिक स्वरूप को बचाने के लिये हम संघर्ष करने को तैयार हैं। कार्यक्रम का संचालन यू एस छाबड़ा ने किया और आभार मुकेश नीम ने माना।

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