कोरोना एक बार फिर बलशाली हो गया है और लोगों को चपेट में लेने लगा है। पिछले दिनों शहर में एक और व्यक्ति की कोरोना की मौत हो गई और कोरोना से कुल मौतों का आंकड़ा बढक़र 104 हो गया है। पुलिस-प्रशासन एक बार फिर मुस्तैद हुआ है और बिना मॉस्क के घूम रहे लोगों की धरपकड़ शुरू कर दी है।
सोमवार को ही १०० से अधिक लोगों को अस्थाई जेल भेजा गया है। महामारी का यह दौर कोरोना के शुरुआती काल की तरह की खतरनाक है। उस वक्त जिले में रोज 10-15 मरीज भी नहीं मिल रहे थे, और देश में लॉकडाउन की स्थिति बनी थी। अब शहर में रोज 30-40 नए मरीज मिल रहे हैं। शुक्र मनाइये, लॉकडाउन नहीं है।
सरकार ने तो जागरूकता के लिए सारे जरूरी कदम उठा लिए हैं। इलाज की व्यवस्था कर दी और सलाह नहीं मानने वालों को जेल भेजना शुरू कर दिया है। लेकिन हम कब सुधरेंगे, अब जागने की बारी जनता की है। ना सोशल डिस्टेंसिंग और न ही मास्क और न ही सेनेटाइजर। कोई मास्क पहन भी रहा है तो सिर्फ पुलिस से बचने के लिए। पढ़े-लिखे लोग भी यह भूल कर रहे हैं। याद रखिए लॉकडाउन भले ही नहीं है लेकिन जीना लॉकडाउन की सावधानियों की तरह ही है।