भीड़ नियंत्रण और सुविधाओं पर होगा फोकस!
उज्जैन, अग्निपथ: धर्मनगरी उज्जैन में साल 2028 में होने वाले भव्य सिंहस्थ महाकुंभ की तैयारियां अब जोर पकड़ रही हैं! श्रद्धालुओं की सुविधा और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए इस बार एक नई रणनीति अपनाई जा रही है. उज्जैन और आसपास के वो सभी रेलवे स्टेशन, जो सिंहस्थ के दौरान उपयोग किए जाएंगे, उनके लिए विशेष ‘मास्टर प्लान’ और ‘क्राउड मैनेजमेंट प्लान’ तैयार किया जाएगा. यह पहल महाकुंभ के दौरान सुचारु व्यवस्था सुनिश्चित करने में अहम साबित होगी.
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में अहम निर्देश
हाल ही में मुख्य सचिव अनुराग जैन की अध्यक्षता में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में इस संबंध में विस्तृत निर्देश दिए गए हैं. बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि जिन-जिन रेलवे स्टेशनों से श्रद्धालु सिंहस्थ में आएंगे, उन सभी के लिए विशेष मास्टर प्लान और क्राउड मैनेजमेंट प्लान बनाए जाएं. इससे यह तय होगा कि किस स्टेशन पर कितनी ट्रेनों की संख्या और फेरे निर्धारित किए जाएं, यह वहां उपलब्ध ट्रैक्स और प्लेटफार्म की क्षमता पर निर्भर करेगा.
योजना के तहत, हर स्टेशन पर आने वाले श्रद्धालुओं की अनुमानित संख्या का आकलन किया जाएगा. साथ ही, स्टेशनों के आसपास उपलब्ध खाली जमीन की भी जांच की जाएगी ताकि यह निर्धारित हो सके कि कितने वाहनों को वहां जाने की अनुमति होगी और पार्किंग की व्यवस्था कैसी होगी. यह सब मिलकर एक सुनियोजित आगमन और प्रस्थान सुनिश्चित करेगा.
उज्जैन के लिए 732 करोड़ के 28 काम स्वीकृत
सिंहस्थ से जुड़ी इस उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक में उज्जैन जिले के लिए कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को हरी झंडी मिल गई है. कुल ₹732 करोड़ की लागत से 28 विकास कार्यों को सहमति मिली है, जो महाकुंभ से पहले शहर को एक नया रूप देंगे और श्रद्धालुओं की सुविधाओं में इजाफा करेंगे.
शिप्रा के घाटों का होगा कायाकल्प
महाकुंभ के केंद्र में रहने वाली पवित्र शिप्रा नदी के घाटों को संवारने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. सरकार शिप्रा के दोनों किनारों पर 15-15 किलोमीटर लंबे नए घाट बनाने की योजना बना रही है. वर्तमान में मौजूद लगभग 7 किलोमीटर लंबे घाटों को सुधारने और सुंदर बनाने के लिए भी 50 करोड़ की परियोजना प्रस्तावित हुई है. इन घाटों पर सुरक्षा के लिए फिसलन रहित और मजबूत पत्थर लगाए जाएंगे, ताकि स्नान के दौरान श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो. यह कार्य शिप्रा को और भी भव्य स्वरूप देगा.
डंपिंग ग्राउंड की सफाई और पंचकोशी मार्ग का प्रस्ताव
शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं. उज्जैन नगर में MR 5 पर मौजूद पुराने डंपिंग साइट पर सालों से पड़े कचरे की सफाई की योजना है. इस कार्य के लिए 5.5 करोड़ का प्रस्ताव बना है और इसे भी स्वीकृति मिल चुकी है. यह शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा.
इसके अतिरिक्त, पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) द्वारा पंचकोशी मार्ग के लिए 82 करोड़ का प्रस्ताव बनाया गया था. मुख्य सचिव ने इस पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि सिंहस्थ के दौरान और उसके बाद इस मार्ग का क्या उपयोग होगा, और क्या इसके लिए कोई वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध है. इन दोनों तथ्यों का परीक्षण कर पीडब्ल्यूडी द्वारा दोबारा प्रस्ताव दिया जाएगा.
ओंकारेश्वर में बनेगा नया झूला पुल और खरगोन में विकास कार्य
सिंहस्थ का प्रभाव केवल उज्जैन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आसपास के धार्मिक स्थलों को भी विकसित किया जा रहा है. ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी पर एक नया झूला पुल बनाने की योजना है, जिसके लिए पीडब्ल्यूडी 48 करोड़ की लागत से एक और झूला पुल बनाएगा. यह श्रद्धालुओं के लिए यात्रा को और सुगम बनाएगा.
इसके अलावा, ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग क्षेत्र के विकास की भी योजना प्रस्तावित है. खरगोन जिले में 110 करोड़ की लागत से देवी अहिल्या लोक निर्माण को भी स्वीकृति दी गई है. यह सभी परियोजनाएं सिंहस्थ 2028 को न केवल उज्जैन, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक यादगार और सुगम अनुभव बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं.