5 रवि योग और 3 सर्वार्थ सिद्धि योग देंगे विशेष फल!
उज्जैन, अग्निपथ: धर्म और आध्यात्म की नगरी उज्जैन एक बार फिर भक्ति के रंगों में सराबोर होने को तैयार है! आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 26 जून, गुरुवार से प्रारंभ हो रही है. यह पावन पर्व पूरे 9 दिनों तक चलेगा, जो इस साल साधकों और भक्तों के लिए विशेष फलदायी साबित होगा. देवी भागवत महापुराण के अनुसार, वर्ष में चार नवरात्र होते हैं – चैत्र और अश्विन मास की ‘प्रकट नवरात्र’ और आषाढ़ व माघ मास की ‘गुप्त नवरात्र’. लेकिन इस बार की गुप्त नवरात्रि कुछ अलग है, आइए जानते हैं क्यों!
क्यों है इस बार की गुप्त नवरात्रि इतनी खास?
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार, इस साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक किसी भी तिथि का क्षय नहीं हो रहा है, जिसका सीधा अर्थ है कि यह नवरात्रि पूरे 9 दिनों की पूर्ण अवधि के साथ मनाई जाएगी. यह निरंतर नवरात्रि बेहद बलशाली और प्रभावकारी मानी जाती है. ऐसे में देवी दुर्गा की उपासना करने वाले साधकों के लिए यह समय आत्मिक उन्नति और मनोकामना पूर्ति का अनमोल अवसर लेकर आ रहा है.
बन रहे हैं शुभ योगों के अद्भुत संयोग
इस गुप्त नवरात्रि में कई अत्यंत शुभ योगों का अद्भुत संयोग बन रहा है, जो आपकी साधना और पूजन के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देंगे. इन 9 दिनों में पांच रवि योग और तीन सर्वार्थ सिद्धि योग बनेंगे.
- सर्वार्थ सिद्धि योग: 26 जून को सुबह 8:46 बजे से 27 जून को प्रातः 5:35 बजे तक रहेगा. इस योग में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं.
- रवि योग: 28 जून को सुबह 6:50 बजे से 29 जून को सुबह 6:00 बजे तक, और फिर 30 जून को प्रातः 6:50 बजे से 1 जुलाई को सुबह 7:00 बजे तक रहेगा. रवि योग सूर्य के समान ऊर्जा प्रदान करता है और नकारात्मक प्रभावों को दूर करता है.
शास्त्रों में इन विशेष योगों के दौरान की गई साधना को अत्यंत फलदायक बताया गया है. यह समय किसी भी नए कार्य के आरंभ, महत्वपूर्ण निर्णय लेने, व्यापार की शुरुआत करने और यात्रा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. चाहे आप गृहस्थ हों या संन्यासी, इन योगों के प्रभाव से अपनी साधना के माध्यम से विशेष लाभ प्राप्त कर सकते हैं.
ग्रहों का गोचर भी बढ़ाएगा आध्यात्मिक शक्ति
गुप्त नवरात्रि के दौरान कुछ महत्वपूर्ण ग्रह परिवर्तन भी होंगे, जो इस अवधि को और भी प्रभावशाली बनाएंगे:
- 28 जून को गुरु ग्रह आर्द्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में प्रवेश करेगा. गुरु को ज्ञान, विवेक और समृद्धि का कारक ग्रह माना जाता है, और उनका यह प्रवेश आध्यात्मिक उन्नति के लिए शुभ संकेत है, खासकर उन लोगों के लिए जो ज्ञान प्राप्ति या शिक्षा के क्षेत्र में हैं.
- 29 जून को शुक्र ग्रह दोपहर 2 बजे वृषभ राशि में प्रवेश करेगा. शुक्र, प्रेम, सौंदर्य और भौतिक सुखों का प्रतीक है. वृषभ में शुक्र का गोचर जीवन में सुख-समृद्धि, कलात्मकता और रिश्तों में मधुरता ला सकता है.
- 30 जून को मंगल ग्रह पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश करेगा. मंगल ऊर्जा, साहस और पराक्रम का ग्रह है. यह गोचर व्यक्ति के भीतर नई ऊर्जा, आत्मविश्वास और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति का संचार करेगा.
इन ग्रहों के शुभ संयोग और गोचर से साधना करने वालों को विशेष लाभ मिलने की संभावना है, जो उनके भौतिक और आध्यात्मिक जीवन दोनों को बेहतर बना सकता है.
गुप्त नवरात्रि का महत्व: ‘महाविद्याओं’ की शक्ति
प्रकट नवरात्रियों के विपरीत, गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से तांत्रिक साधनाओं, गुप्त विद्याओं और कठिन मनोकामना पूर्ति के लिए मानी जाती है. इन नौ दिनों में देवी के ‘दस महाविद्या’ स्वरूपों – काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला – की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इन देवियों की साधना से साधक को अतुलनीय शक्तियां प्राप्त होती हैं और उसकी गुप्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
यह नवरात्रि उन साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए एकांत में साधना करना चाहते हैं. आम तौर पर, इसमें सार्वजनिक रूप से बड़े अनुष्ठान नहीं किए जाते, बल्कि व्यक्तिगत रूप से गोपनीय तरीके से देवी की आराधना की जाती है. उज्जैन में स्थित शक्तिपीठ हरिसिद्धि मंदिर में भी गुप्त नवरात्रि के दौरान विशेष दीपमालिकाएं जलाई जाती हैं और कई साधक यहां गुप्त साधनाएं करते हैं.
कैसे करें गुप्त नवरात्रि में साधना?
हालांकि यह ‘गुप्त’ नवरात्रि है, लेकिन इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि इसे सामान्य व्यक्ति नहीं मना सकते. आप भी इन 9 दिनों में अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार देवी की उपासना कर सकते हैं:
- घट स्थापना: 26 जून को शुभ मुहूर्त में (सुबह 5:25 से 6:58 तक या अभिजीत मुहूर्त सुबह 10:58 से 11:53 तक) कलश स्थापना करें.
- दुर्गा सप्तशती का पाठ: प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है.
- मंत्र जाप: अपनी इच्छानुसार देवी के किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं. ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ या ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप विशेष रूप से प्रभावशाली होता है.
- आरती और भोग: प्रतिदिन सुबह-शाम देवी की आरती करें और उन्हें शुद्ध सात्विक भोग अर्पित करें.
- सात्विक जीवन: इन 9 दिनों में सात्विक भोजन ग्रहण करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन को शांत, पवित्र एवं सकारात्मक रखने का प्रयास करें.
उज्जैन में इस विशेष गुप्त नवरात्रि का आगमन उन सभी भक्तों के लिए एक स्वर्णिम अवसर है जो देवी शक्ति की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और अपने जीवन में सुख, समृद्धि, आध्यात्मिक शांति और मनोवांछित फल की कामना करते हैं. तो तैयार हो जाइए, 26 जून से शुरू हो रही इस पावन नवरात्रि के लिए!