सिंहस्थ 2028: उज्जैन में 20,000 करोड़ के प्रोजेक्ट्स की अब होगी ‘डिजिटल निगरानी’, पारदर्शिता और गतिशीलता का नया युग!

सिंहस्थ 2028

उज्जैन, अग्निपथ। आगामी सिंहस्थ 2028 की तैयारियों को लेकर उज्जैन में युद्धस्तर पर चल रहे लगभग ₹20,000 करोड़ के निर्माण कार्यों में अब पारदर्शिता और दक्षता लाने के लिए सरकार ने एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। एक अत्याधुनिक ऑनलाइन सिस्टम ‘पीएमआईएस’ (प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग इंफॉर्मेशन सिस्टम) तैयार किया गया है, जिसकी मदद से अब वरिष्ठ अधिकारी देश के किसी भी कोने से सिंहस्थ 2028 के  इन विशाल परियोजनाओं की निगरानी कर सकेंगे। यह सिर्फ उज्जैन ही नहीं, बल्कि भोपाल में बैठे अधिकारियों के लिए भी बड़ी राहत लेकर आया है, जिन्हें अब बार-बार उज्जैन के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। वे अपने मोबाइल या लैपटॉप से 24 घंटे निर्माण कार्य की प्रगति पर नजर रख सकेंगे। यह तकनीक का वह अद्भुत उपयोग है, जो सिंहस्थ की तैयारियों को एक नई गति और विश्वसनीयता प्रदान करेगा।

पीएमआईएस: हर प्रोजेक्ट पर पैनी ‘डिजिटल’ नजर

यह नया ऑनलाइन सिस्टम, जिसे ‘प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग इंफॉर्मेशन सिस्टम’ (PMIS) नाम दिया गया है, सिंहस्थ 2028 से संबंधित सभी निर्माण कार्यों की निगरानी का केंद्र बिंदु होगा। उज्जैन और आसपास के क्षेत्रों में चल रहे इन हजारों करोड़ रुपये के कार्यों की पल-पल की जानकारी अब अधिकारियों की मुट्ठी में होगी। इस सिस्टम से अधिकारी अपने मोबाइल या लैपटॉप पर कहीं भी, कभी भी निर्माण कार्य की प्रगति देख सकेंगे, और अगर कहीं कोई लापरवाही या देरी दिखती है, तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जा सकेगी। यह पीएमआईएस न केवल कार्यों की गति को बढ़ाएगा, बल्कि ठेकेदारों और संबंधित विभागों की जवाबदेही भी सुनिश्चित करेगा।

कलेक्टर की पहल: प्रतिदिन ‘जियो टैगिंग’ और अपडेट

इस निगरानी कार्य को और भी आसान बनाने के लिए, उज्जैन कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने इस विशेष सॉफ्टवेयर पीएमआईएस को तैयार करवाया है। इस सॉफ्टवेयर पर सिंहस्थ 2028 के सभी कार्यों की जानकारी प्रतिदिन अपडेट की जा रही है। इससे प्रोजेक्ट की प्रगति रिपोर्ट, खर्च का विवरण और यहां तक कि किसी भी विलंब के संभावित कारणों का पूर्वानुमान भी लगातार उपलब्ध रहेगा। राज्य और जिला स्तर के सभी वरिष्ठ अधिकारी इस पर नजर रख सकेंगे।

कलेक्टर रोशन सिंह ने मीडिया को बताया कि सिंहस्थ-2028 के लिए कई जगहों पर निर्माण कार्य चल रहे हैं, और प्रतिदिन हर स्थान पर जाकर कार्यों की निगरानी करना संभव नहीं है। इसी चुनौती को देखते हुए पीएमआईएस को लागू किया गया है। अब निर्माण कार्य की वर्तमान स्थिति, कितने लोग काम कर रहे हैं, इसकी तस्वीरें प्रतिदिन जियो टैग की जा रही हैं। इससे न केवल कार्यस्थल की वास्तविक स्थिति का पता चलेगा, बल्कि सॉफ्टवेयर से निर्माण कार्य में हो रहे खर्च का भी रियल-टाइम अपडेट मिलेगा। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा कि जनता का पैसा सही तरीके से और कुशलता से उपयोग हो रहा है।

सिंहस्थ 2028 में तकनीक का व्यापक उपयोग: भीड़ प्रबंधन से सुरक्षा तक

सिंहस्थ 2028 सिर्फ निर्माण कार्यों की डिजिटल निगरानी तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसमें तकनीकी संसाधनों का व्यापक उपयोग किया जाएगा। यह कुंभ मेला आधुनिक तकनीक और पारंपरिक आस्था का अद्भुत संगम बनेगा। भीड़ प्रबंधन से लेकर प्रचार-प्रसार और सुरक्षा तक, हर क्षेत्र में तकनीक की निर्णायक भूमिका होगी।

आयोजन में निम्नलिखित अत्याधुनिक संसाधनों का उपयोग होगा:

  • मोबाइल ऐप: श्रद्धालुओं को सिंहस्थ से संबंधित सभी जानकारी, जैसे शिविरों का स्थान, स्नान घाट, परिवहन सुविधाएँ, चिकित्सा सहायता और आपातकालीन संपर्क नंबर, एक ही ऐप पर उपलब्ध होंगी।
  • ई-पास: कुछ क्षेत्रों में भीड़ को नियंत्रित करने और सुगम आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए ई-पास प्रणाली लागू की जा सकती है।
  • वर्चुअल दर्शन: जो श्रद्धालु शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हो सकते, उनके लिए वर्चुअल दर्शन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित सूचना सेवा: AI आधारित चैटबॉट या सिस्टम श्रद्धालुओं के प्रश्नों का तुरंत उत्तर देने और उनकी सहायता करने में सक्षम होंगे।
  • फेस रिकॉग्निशन मशीनें: सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान करने के लिए इन मशीनों का उपयोग किया जाएगा।
  • ड्रोन से निगरानी: विशाल मेला क्षेत्र और भीड़ पर नजर रखने, सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने और आपात स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया के लिए ड्रोन का बड़े पैमाने पर उपयोग होगा।

इसके अलावा, शहर में एक आधुनिक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर भी बनाया जाएगा, जो सिंहस्थ 2028 की सभी व्यवस्थाओं की केंद्रीय निगरानी करेगा। यह सेंटर विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने और किसी भी आपात स्थिति में त्वरित निर्णय लेने में मदद करेगा। यह सब मिलकर सिंहस्थ 2028 को न केवल एक आध्यात्मिक आयोजन बनाएगा, बल्कि एक सुरक्षित, सुव्यवस्थित और तकनीकी रूप से उन्नत महाकुंभ भी साबित करेगा। यह नवाचार उज्जैन को भविष्य के बड़े आयोजनों के लिए एक मॉडल के रूप में स्थापित करेगा।

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