खरगोन, अग्निपथ। अवैध हथियारों की तस्करी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गिरीश कुमार शर्मा ने तीन आरोपियों को आयुध अधिनियम के तहत 3-3 साल के सश्रम कारावास और ?500 के जुर्माने से दंडित किया है। यह फैसला जिला अभियोजन संचालनालय के सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी श्रीमती सिमी रत्नम आर्या की सशक्त पैरवी का नतीजा है।
क्या था पूरा मामला?
घटना 7 नवंबर, 2015 की है, जब जैतापुर पुलिस चौकी को मुखबिर से सूचना मिली कि बबलू भाटिया के ढाबे के पीछे कुछ लोग अवैध हथियार (पिस्टल) बेचने के लिए बैठे हैं। सूचना मिलते ही पुलिस टीम ने तत्काल घेराबंदी की।
मौके पर पुलिस ने छिपकर देखा तो तीन व्यक्ति संदिग्ध अवस्था में बैठे हुए थे। पुलिस ने फुर्ती से कार्रवाई करते हुए तीनों को धर दबोचा। तलाशी लेने पर उनके पास से तीन देशी पिस्टल बरामद हुईं। जब पुलिस ने उनसे इन हथियारों को रखने, बेचने या परिवहन करने का लाइसेंस मांगा, तो वे कोई वैध दस्तावेज पेश नहीं कर पाए।
आरोपियों की पहचान और कानूनी प्रक्रिया
पकड़े गए आरोपियों की पहचान सतवीरसिंह (निवासी अलीगढ़), गोगा उर्फ गुरुदेवसिंह सिकलीगर (निवासी सिगनूर), और गुरुदयाल (निवासी सिगनूर) के रूप में हुई। पुलिस ने तीनों के खिलाफ माननीय न्यायालय खरगोन में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया।
विचारण के दौरान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सभी सबूतों और गवाहों के आधार पर अभियुक्तगण गुरुदेव उर्फ गोगा, सतवीर और गुरुदयाल को दोषी पाया। यह फैसला अवैध हथियार रखने और बेचने वालों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि कानून अपना काम करेगा।