दो आत्महत्याओं से गहराया चिंता का माहौल।
उज्जैन, अग्निपथ. उज्जैन में भूमि विवाद और पारिवारिक कलह ने दो जिंदगियां छीन ली हैं, जिससे क्षेत्र में शोक और चिंता का माहौल है। चिन्तामण जवासिया थाना क्षेत्र के अकसोदा गाँव में एक 60 वर्षीय बुजुर्ग ने अपनी ज़मीन पर अवैध कब्जे और मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर सल्फास खाकर आत्महत्या कर ली। वहीं, चालमुख गाँव में एक 36 वर्षीय युवक ने आर्थिक परेशानी और पारिवारिक विवादों के चलते ज़हर खाकर अपनी जान दे दी। ये दोनों घटनाएँ समाज में बढ़ती अशांति और व्यक्तिगत समस्याओं के भयावह परिणामों को दर्शाती हैं।
अकसोदा: ज़मीन के लालच में एक और जीवन खत्म!
चिन्तामण जवासिया थाना क्षेत्र के अकसोदा में रहने वाले उमराव पिता केसर सिंह दायमा (60) ने ज़हरीला पदार्थ खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। पुलिस इस मामले की गहनता से जांच कर रही है। मृतक के बेटे भगवान सिंह ने पुलिस को बताया कि उनके पिता ने कुछ साल पहले शराब के नशे में अपने दोस्त भूपेंद्र के साथ ज़मीन बेचने का अनुबंध किया था।
अगले ही दिन, परिवार के सदस्यों से चर्चा करने के बाद, उन्होंने ज़मीन बेचने से इनकार कर दिया। लेकिन भूपेंद्र ने इस अनुबंध का सहारा लिया और उमराव को धमकाने लगा कि वे ज़मीन की रजिस्ट्री उसके नाम करवा दें। वह ज़मीन पर अवैध कब्जा करने की फिराक में था। उमराव के नाम पर 3 बीघा ज़मीन थी, जिसे उनके तीन बेटों में 1-1 बीघा मिलना तय था। बेटे भगवान ने बताया कि ज़मीन का मामला न्यायालय में विचाराधीन है, लेकिन भूपेंद्र लगातार उनके पिता को धमका रहा था। इसी वजह से उमराव काफी चिंतित और परेशान थे।
आखिरी पल: खेत में अकेले सल्फास खाकर दी जान!
भगवान सिंह ने बताया कि मंगलवार दोपहर वह खेत में दवाई छिड़क रहा था। उसी दौरान उनके पिता खेत में आकर बैठ गए और दोपहर डेढ़ बजे तक वहीं रहे। ढाई बजे जब भगवान खाना खाने के लिए घर जाने लगा, तो उसने पिता से भी घर चलने को कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया और खेत में ही रुक गए। शाम 4 बजे जब भगवान वापस खेत पर आया, तो पिता की तबीयत खराब हो चुकी थी और वे उल्टियां कर रहे थे। बेटे ने उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया, लेकिन आधे घंटे बाद ही उमराव की मौत हो गई। यह घटना दिल दहला देने वाली है कि किस तरह एक ज़मीन का टुकड़ा एक बुजुर्ग के लिए जानलेवा साबित हुआ। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
चालमुख: आर्थिक तंगी और पारिवारिक विवाद का दर्दनाक अंत!
उज्जैन के चिन्तामण जवासिया थाना क्षेत्र के ही चालमुख गाँव में अर्जुन पिता रतनलाल परमार (36) नामक युवक ने चार दिन पहले ज़हर खा लिया था। मंगलवार शाम इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। सूचना मिलने पर पुलिस ने आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज से शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवाया।
पुलिस ने बताया कि अर्जुन ने 12 जुलाई को ज़हर खाया था। अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस ने परिजनों के बयान दर्ज किए हैं, लेकिन आत्महत्या का स्पष्ट कारण अभी तक सामने नहीं आया है। अर्जुन मज़दूरी का काम करता था और उसके दो बच्चे हैं। वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अपने माता-पिता से अलग मकान लेकर रहता था।
संभवतः आर्थिक परेशानी और पारिवारिक विवाद के चलते युवक ने आत्महत्या की। मृतक के भांजे आयुष ने बताया कि 12 जुलाई को अर्जुन शाम 5 बजे मज़दूरी से लौटा था और चाय पीने के बाद उसने ज़हर खा लिया। तबीयत खराब होने पर परिजनों ने पूछा तो उसने सल्फास खाने की बात बताई। परिजन उसे तुरंत अस्पताल ले गए और इलाज शुरू करवाया, लेकिन मंगलवार को अर्जुन की मौत हो गई। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर बुधवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया।
चिंता का विषय: क्या समाज में बढ़ती निराशा का संकेत है?
यह दोनों घटनाएँ समाज में बढ़ती मानसिक परेशानी, आर्थिक तंगी, और भूमि विवादों की गंभीरता को दर्शाती हैं। जहां एक ओर ज़मीन के लालच ने एक बुजुर्ग की जान ले ली, वहीं दूसरी ओर आर्थिक बोझ और पारिवारिक कलह ने एक युवा जीवन को निगल लिया। यह ज़रूरी है कि ऐसे मामलों में पुलिस और प्रशासन के साथ-साथ सामाजिक संगठन भी आगे आएं और लोगों को इन समस्याओं से निपटने में मदद करें। मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और कानूनी सलाह की उपलब्धता ऐसे मामलों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।