उज्जैन में ‘एक नंबर, दो इनोवा’ का चौंकाने वाला खुलासा! फाइनेंस धोखाधड़ी का बड़ा खेल उजागर

उज्जैन में 'एक नंबर पर दो इनोवा'

उज्जैन, अग्निपथ. मध्य प्रदेश के उज्जैन में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ माधव नगर पुलिस ने एक ही नंबर पर चल रही दो इनोवा गाड़ियों को जब्त किया है। मंगलवार रात को पकड़ी गई इन गाड़ियों में से एक इंदौर की बताई जा रही है, जिसे फाइनेंस कंपनी की किस्तों से बचने के लिए नंबर बदलकर उज्जैन में चलाया जा रहा था। इस मामले ने एक बड़े फाइनेंस धोखाधड़ी रैकेट की ओर इशारा किया है, जिसमें आरोपी फाइनेंस कंपनियों को चकमा देने के लिए गाड़ियों के नंबर प्लेट बदल देते हैं और उन्हें दूसरे शहरों में चलाकर अपनी पहचान छिपाते हैं। पुलिस इस पूरे मामले की गहनता से जाँच कर रही है और ऐसे कई और मामले सामने आने की संभावना जताई जा रही है।

कैसे हुआ खुलासा?

मंगलवार शाम को माधव नगर पुलिस को एक फाइनेंस कंपनी के प्रबंधक से शिकायत मिली थी। शिकायत में बताया गया कि उज्जैन में एक ही रजिस्ट्रेशन नंबर MP 09-CB-1212 पर दो इनोवा गाड़ियाँ चल रही हैं। इनमें से एक गाड़ी इंदौर की है और उसकी किस्तें फाइनेंस कंपनी को जमा नहीं की गई हैं, जिसके कारण कंपनी उस गाड़ी की तलाश कर रही थी। शिकायत मिलते ही माधव नगर पुलिस तुरंत हरकत में आई और एक तलाशी अभियान चलाया। पुलिस को दोनों गाड़ियाँ अंजुश्री कॉलोनी से मिल गईं। दोनों वाहनों को पुलिस ने तुरंत जब्त कर माधव नगर थाने ले आई। यह कार्रवाई पुलिस की सक्रियता और फाइनेंस कंपनी की सतर्कता का परिणाम है, जिसने इस बड़े फर्जीवाड़े को उजागर करने में मदद की।

रिश्तेदारी में था ‘एक नंबर, दो इनोवा’ फर्जीवाड़ा

माधव नगर टीआई राकेश भारतीय ने बताया कि जब्त की गई इनोवा गाड़ियों में से एक MP 09-CB-1212 नंबर वाला वाहन अंजुश्री कॉलोनी निवासी सुनील रायकवार और उसका भाई सोनू किराये पर चला रहे थे। इनमें से एक वाहन सुनील और सोनू के नाम पर ही है, जबकि दूसरा वाहन उनकी मामी शीला रायकवार निवासी इंदौर के नाम पर दर्ज है। फाइनेंस कंपनी को इंदौर वाली गाड़ी की तलाश थी, जिसे नंबर बदलकर उज्जैन में चलाया जा रहा था। यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा था, जिसमें रिश्तेदारी का फायदा उठाकर फाइनेंस कंपनी को धोखा देने की कोशिश की जा रही थी। पुलिस ने दोनों वाहनों के मालिकों और फाइनेंस कंपनी के अधिकारियों को थाने बुलाया है, ताकि पूरे मामले की सच्चाई सामने आ सके। इस जांच से यह भी पता चलेगा कि क्या इस गिरोह में और भी लोग शामिल हैं और क्या यह कोई संगठित अपराध है।

फाइनेंस धोखाधड़ी का नया तरीका

पुलिस का मानना है कि इंदौर की गाड़ी को उज्जैन में भांजे सुनील के माध्यम से किराये पर चलाने का मुख्य उद्देश्य फाइनेंस कंपनी को धोखा देना था। यह एक आम तरीका बन गया है, जहाँ लोग बड़े वाहन फाइनेंस कराने के बाद उन्हें दूसरे शहर में ले जाकर नंबर प्लेट बदल देते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जब किश्तें जमा न हों, तो फाइनेंस कंपनी उस वाहन को आसानी से तलाश न कर सके। इस विशेष मामले में, वाहन का रंग और मॉडल अलग होने के कारण, जानकारी मिलते ही पुलिस ने इसे तुरंत पकड़ लिया। यह इस बात का प्रमाण है कि भले ही अपराधी कितना भी शातिर हो, कानून की लंबी बाहें उसे पकड़ ही लेती हैं।

और भी मामले आने की संभावना

पुलिस को आशंका है कि इस पूछताछ के बाद ऐसे और भी मामले सामने आ सकते हैं। यह दर्शाता है कि इस प्रकार की फाइनेंस धोखाधड़ी का जाल कितना गहरा हो सकता है। पुलिस इस मामले की तह तक जाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। यह घटना अन्य फाइनेंस कंपनियों और वाहन मालिकों के लिए एक चेतावनी है कि वे ऐसे धोखाधड़ी से बचें और सतर्क रहें।

पुलिस ने जनता से भी अपील की है कि यदि उन्हें ऐसे किसी संदिग्ध वाहन या गतिविधि की जानकारी मिलती है, तो वे तुरंत पुलिस को सूचित करें, ताकि ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके और समाज में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह मामला न केवल उज्जैन बल्कि पूरे राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है कि कानून से बढ़कर कोई नहीं है और अपराधी चाहे कितनी भी चतुराई से काम करें, उन्हें अंततः पकड़ा ही जाता है। इस मामले में पुलिस की तत्परता और जांच का तरीका सराहनीय है, जिससे भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलेगी।

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