उज्जैन: नागपंचमी पर खुले नागचंद्रेश्वर के पट, 7 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन!

उज्जैन, अग्निपथ। साल में केवल एक बार नागपंचमी के अवसर पर खुलने वाले भगवान श्री नागचंद्रेश्वर के पट 29 जुलाई की मध्यरात्रि 12 बजे खोल दिए गए। पट खुलते ही श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा, श्री महाकालेश्वर मंदिर के महंत श्री विनीतगिरी महाराज जी ने विधि-विधान से भगवान श्री नागचंद्रेश्वर का पूजन-अर्चन किया।

इस अवसर पर प्रभारी मंत्री श्री गौतम टेटवाल और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्रीमती सम्पतिया उइके, साथ ही विधायक श्री अनिल जैन कालूहेड़ा भी उपस्थित रहे।

सर्वप्रथम श्री नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा का पूजन किया गया, जिसके बाद उनके शिवलिंग का पूजन और अभिषेक संपन्न हुआ। पूजन-अर्चन के तुरंत बाद, भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। 28 जुलाई 2025 की रात से ही कतारों में लगे श्रद्धालु पट खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।

महाकालेश्वर को धारण करवाए गए रजत शेषनाग

नागपंचमी के पावन पर्व पर श्री महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकालेश्वर को रजत शेषनाग धारण करवाए गए। कोटितीर्थ कुंड पर श्री आशीष पुजारी द्वारा श्री शेषनाग भगवान का पंचामृत अभिषेक, पूजन-अर्चन और आरती की गई, जिसके बाद भस्मार्ती में भगवान महाकालेश्वर को रजत के शेषनाग धारण करवाए गए।

अखाड़े द्वारा पूजन और शिखर ध्वज परिवर्तन

अपराह्न 12 बजे श्री महाकालेश्वर मंदिर के द्वितीय तल पर स्थित श्री नागचंद्रेश्वर भगवान की विशेष पूजन श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत श्री विनीतगिरी जी महाराज द्वारा संपन्न की गई। पूजन के पश्चात श्री महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर लगे ध्वज का पूजन कर नवीन ध्वज लगाया गया।

शाम को श्री महाकालेश्वर की सायं आरती के बाद श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी-पुरोहितों द्वारा श्री नागचंद्रेश्वर भगवान की पूजन-आरती की गई। इस दौरान भी श्री नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन सतत जारी रहे।

7 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

वर्ष में एक बार खुलने वाले भगवान श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए हर श्रद्धालु आतुर रहता है और दूर-दूर से लोग यहाँ दर्शन लाभ लेने के लिए आते हैं। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की पीआरओ श्रीमती गौरी जोशी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, रात्रि 12:15 बजे से समाचार लिखे जाने तक कुल 7 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान श्री नागचंद्रेश्वर जी के दर्शन का लाभ लिया।

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