छोटा भाई शराब तस्कर, बड़े भाई के मकान पर चला बुलडोजर

पोते के अपराध की सजा झोपड़ा तोडक़र 85 साल की दादी को दी

उज्जैन,अग्निपथ। बदमाशों के विरुद्ध चलाई जा रही मुहिम के चलते बुधवार को पुलिस व नगर निगम ने दो जगह कार्रवाई की। बंगाली कॉलोनी में फरार शराब तस्कर के बड़े भाई का मकान ध्वस्त कर दिया। वहीं जेल में बंद एक बदमाश की दादी के झोपड़े पर भी जेसीबी चला दी।

फैक्टरी में काम कर बनाया था मकान

पुलिस रिकार्डनुसार अनुज पिता खोखन सरकार (30) पर 15 केस दर्ज है। वह शराब की तस्करी करता है और फिलहाल मारपीट के केस में फरार है। थाने में उसका पता बंगाली कॉलोनी लिखा है, जबकि उसके बड़े भाई राजू सरकार व पड़ोसियों ने बताया कि अनुज दो साल से घर नहीं आया। राजू ने डिस्पोजल फैक्टरी में काम कर व पिता की मदद से बमुश्किल मकान पर दूसरी मंजिल बनाई थी। अनुज के अपराधी होने के कारण पुलिस ने उसे तोडऩा तय किया और बिना अनुमति के मकान होने के कारण एक माह पहले नगर निगम से नोटिस जारी करवाया और बुधवार को जेसीबी से उसे ध्वस्त कर दिया। कार्रवाई के दौरान सीएसपी वंदना चौहान, टीआई रविंद्र यादव,ओपी अहिर के साथ ही भारी अमला मौजूद था। नतीजतन कोई विरोध तो नहीं कर सका, लेकिन अनुज के अपराधी होने पर उसके पिता व भाई बेसहारा हो गए।

जेसीबी की धमक से गिरी दादी की दीवार

सर्वविदित है करीब एक सप्ताह पहले तीन बदमाश प्रियदर्शिनी चौराहा स्थित बादशाह बेग की दुकान के कर्मचारी को चाकू की नोक पर उठा ले गए थे। इनमें प्रमुख आरोपी विवेकानंद कॉलोनी निवासी कान्हा उर्फ कृष्णा पिता सुरेश डोडियार (23)था। दिन-दहाड़े वारदात करने और सात प्रकरणों को देखते हुए नीलगंगा पुलिस ने कान्हा को रासुका में जेल भेज दिया। मुहिम के चलते पुलिस ने उसका मकान भी तोडऩा तय किया और बुधवार दोपहर कान्हा की दादी सुंदरबाई (85) के मकान पर निगम गैंग के साथ पहुंच गए। यहां जेसीबी को मशक्कत नहीं करना पड़ी। कच्ची दीवार धमक से ही गिर गई। कार्रवाई के दौरान पड़ोसियों ने बताया कि कान्हा कॉलोनी में ही पीछे दोस्त के साथ रहता है। दादी घरों में काम कर गुजर-बसर करती है। जिम्मेदारों ने बिना पड़ताल के झोपड़ी तोडक़र वृद्धा का रहना मुहाल कर दिया।

इनका कहना है

अनुज आदतन बदमाश है और मारपीट के केस में फरार है। कान्हा भी रिकार्डशुदा है। दोनों के मकान अवैध होने पर नगर निगम ने नोटिस देने के बाद कार्रवाई की है। -वंदना चौहान, सीएसपी नीलगंगा

वाहवाहीं के चक्कर में निर्दोषों पर कहर क्यों…

हस्तक्षेप- ललित जैन

पुलिस प्रशासन गुंडों के मकान तोडऩे की मुहिम चलाकर सराहनीय कार्य कर रहा है। बदमाशों पर अंकुश के लिए सख्त कार्रवाई की जरुरत भी है, लेकिन जि मेदारों को मानवीय पहलू भी देखना चाहिए। दादा-नाना, पिता व भाई के साथ रहने के दौरान उसने अपराध किए होंगे। इसलिए उसका स्थाई पता भी यहीं लिखा होना वाजिब है। लेकिन रिकार्ड होने के बाद परिवार ने उससे नाता रखा कि नहीं। वह वर्तमान में कहां रहता है यह भी पता लगाना चाहिए। यहीं नहीं मकान निर्माण परिजनों के खून-पसीने से हुआ या बदमाश की काली कमाई से यह पता लगाने के बाद ही कार्रवाई करना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर पुलिस प्रशासन मकान तोडऩे के आकड़े बढ़ाकर सरकार से शाबासी तो हासिल कर लेगी, लेकिन बेवजह बेसहारा हुए लोगों की बद्दुआ का असर भी कहीं न कहीं दिखाई देगा।

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