धार, अग्निपथ। सरकार गरीबों को मुफ्त राशन दे रही है, लेकिन कुछ लालची लोग इस योजना की आड़ में गरीबों के हक पर खुलेआम डाका डाल रहे हैं। धार जिले में हुए एक चौंकाने वाले खुलासे ने इस घिनौनी करतूत को उजागर किया है। यहाँ ऐसे 3837 लोग चिन्हित किए गए हैं, जो लाखों कमाते हैं, कंपनियाँ चलाते हैं और जीएसटी भरते हैं, लेकिन फिर भी मुफ्त का अनाज डकार रहे हैं।
यह चोरी केंद्र सरकार के विशेष सर्वे के जरिए पकड़ी गई है। अब इन अपात्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। विभाग ने सभी 3837 लोगों को नोटिस जारी कर 15 दिनों में जवाब माँगा है। अगर वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए, तो उनकी राशन पर्ची तुरंत रद्द कर दी जाएगी। यह कार्रवाई उन लाखों ईमानदार परिवारों के साथ न्याय है, जिन्हें वास्तव में इस मदद की जरूरत है।
मृत लोगों के नाम पर भी राशन की लूट
इस सर्वे ने एक और चौंकाने वाली सच्चाई सामने लाई है। पता चला है कि करीब 8,500 मृत लोगों के नाम पर भी महीनों से राशन उठाया जा रहा था। इन लोगों के निधन के बाद भी उनके नाम राशन सूची से नहीं हटाए गए और हर महीने उनके हिस्से का अनाज चोरी होता रहा। यह सीधे तौर पर सरकारी योजना के साथ एक बड़ा धोखा है। विभाग का दावा है कि इन सभी नामों को अब सूची से हटा दिया गया है, लेकिन सवाल यह है कि यह लूट इतने समय तक चलती कैसे रही?
तीन श्रेणियों में पकड़े गए लुटेरे
सरकार ने राशन का लाभ लेने वाले अपात्रों के लिए तीन सख्त श्रेणियां बनाई हैं:
- जिनकी सालाना आय 6 लाख रुपए से अधिक है।
- जो किसी कंपनी या पंजीकृत संस्था के मालिक हैं।
- जो 25 लाख रुपए से अधिक का जीएसटी रिटर्न भरते हैं।
जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी श्रीराम बरडे ने बताया कि धार में सबसे ज्यादा 3421 लोग 6 लाख से अधिक आय वाले हैं। इसके अलावा 382 लोग कंपनी संचालक हैं और 34 लोग जीएसटी भरने वाले हैं। इन सभी 3837 लोगों की राशन पर्ची रद्द करने की प्रक्रिया चल रही है।
लूट का खेल रोकने की कोशिश
धार जिले में करीब 15.70 लाख पात्र हितग्राहियों को हर महीने लगभग 9 हजार मीट्रिक टन अनाज मिलता है। लेकिन एसएमडब्ल्यू सर्वे में उजागर हुई इस धोखाधड़ी ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसके अलावा, जिन 1.32 लाख लोगों ने अभी तक ई-केवाईसी नहीं करवाई है, उनका राशन भी रोक दिया गया है। सरकार की ये कार्रवाइयां सही दिशा में कदम हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि भविष्य में कोई भी गरीबों के हक पर डाका न डाल सके।
यह लड़ाई सिर्फ कुछ लोगों की राशन पर्ची रद्द करने की नहीं है, बल्कि उस मानसिकता को खत्म करने की है जो सरकारी मदद को भी लूट का जरिया मानती है।
