धार, अग्निपथ। धार में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए मजाक बनकर रह गई है। जहां एक ओर सरकार इस योजना को किसानों के हित में बताती है, वहीं दूसरी ओर इसका सच कुछ और ही है। जिले में कई किसानों को फसल के नुकसान के बदले नाममात्र की राशि मिली है, जिससे उनमें भारी गुस्सा और असंतोष है। किसानों ने कृषि विभाग को ज्ञापन सौंपकर नाराजगी जाहिर की है
धार के किसानों के लिए पिछले साल की भारी बारिश ने जो तबाही मचाई थी, उसका जख्म अभी भी हरा है। लेकिन इस बार, दर्द बारिश से नहीं, बल्कि सरकार की फसल बीमा योजना से मिला है। किसानों को उम्मीद थी कि फसल के नुकसान की भरपाई होगी, लेकिन जब उनके खातों में पैसे आए, तो वे हैरान रह गए। कई किसानों को 100 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक की मामूली राशि दी गई, जबकि प्रीमियम उससे कई गुना ज्यादा वसूला गया था।
धार की वसूला तहसील के बगड़ी और तलवाड़ा गांवों में तो स्थिति और भी खराब है। यहां के किसानों को सिर्फ 95 रुपये से लेकर 400 रुपये का मुआवजा दिया गया है। किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और कह रहे हैं कि इतनी कम राशि पाकर उन्हें शर्मिंदगी हो रही है। इसी के विरोध में, एक किसान ने तो अपनी बीमा राशि को विकास कार्यों के लिए दान भी कर दिया।
किसान गुस्से में, दी आंदोलन की चेतावनी
फसल बीमा की विसंगतियों को लेकर किसानों ने कृषि विभाग को ज्ञापन सौंपकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि बीमा कंपनी से जो पैसा मिला है, वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। जिले में लगभग 300 ऐसे किसान हैं, जिन्होंने प्रीमियम जमा करने के बावजूद उन्हें कोई क्षतिपूर्ति नहीं मिली। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सात दिनों के भीतर स्थिति स्पष्ट नहीं की गई, तो वे आंदोलन करेंगे।
सरकार और बीमा कंपनी के दावे
कृषि विभाग का दावा है कि 1.54 लाख किसानों को 29.64 करोड़ रुपये का फसल बीमा भुगतान किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि फसल बीमा का आकलन पिछले पांच साल के औसत उत्पादन के आधार पर किया जाता है और अब सेटेलाइट सर्वे से भी जानकारी जुटाई जा रही है।
लेकिन किसानों का सवाल है कि जब प्रीमियम इतनी मेहनत से भरा गया है, तो नुकसान के समय इतना कम पैसा क्यों? कई किसान तो अब प्रीमियम भरना भी बंद करने का मन बना रहे हैं।
किसान राहुल चौधरी ने बताया, “सरकार किसानों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रही है। किसान दिन-रात मेहनत करते हैं, फिर भी प्राकृतिक आपदा के बाद उन्हें सही क्लेम नहीं मिलता है।”
फैक्ट फाइल:
- 3 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई हुई थी।
- 1.70 लाख किसानों ने बीमा कराया।
- 1.54 लाख किसानों को ही लाभ मिला।
- 29.64 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ।
