उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन में सिंहस्थ के लिए लैंड पूलिंग का मुद्दा अब दिल्ली तक पहुँच गया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने इस मामले में भारतीय किसान संघ की शिकायत पर जानकारी ली है। गृह मंत्री शाह ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन की मौजूदगी में सिंहस्थ 2028 की तैयारियों का प्रजेंटेशन देखा और इस पर जरूरी निर्देश भी दिए।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार उज्जैन में सिंहस्थ के लिए 2,376 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण करने की योजना बना रही है, जिसमें किसानों की जमीनें भी शामिल हैं। किसान इस बात का विरोध कर रहे हैं कि सरकार इस जमीन पर स्थायी निर्माण करना चाहती है, जिससे उनकी जमीनें हमेशा के लिए उनसे छिन जाएंगी। किसान संघ ने अपनी शिकायत में बताया कि सरकार स्थायी निर्माण के लिए भूमि का अधिग्रहण कर रही है। इस पर केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने सीधे सरकार से पूछा है कि “आप स्थायी निर्माण क्यों करना चाहते हैं?”
शाह ने दिए अहम निर्देश
प्रस्तुतिकरण के दौरान गृह मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि उज्जैन में सिंहस्थ के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या के अनुमान के अनुसार हर स्तर पर योजना बनाई जाए। उन्होंने नासिक और हरिद्वार जैसे शहरों की व्यवस्थाओं का अध्ययन करने और उनके प्लान के साथ तुलनात्मक अध्ययन करने की सलाह भी दी।
शाह ने प्रजेंटेशन को देखने के बाद अधिकारियों से कहा कि वे फिर से पूरी तैयारी के साथ आएं और इस मुद्दे पर पंद्रह दिन बाद फिर से चर्चा करेंगे।
हरिद्वार का उदाहरण, लेकिन उज्जैन में क्यों?
जब शाह ने स्थायी निर्माण के बारे में सवाल किया तो मध्य प्रदेश सरकार की ओर से बताया गया कि हरिद्वार में लैंड पूलिंग के लिए इसी तरह की व्यवस्था है। इस पर बैठक में मौजूद वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि हरिद्वार में स्थायी व्यवस्था वर्षों पुरानी है, जबकि उज्जैन में इसकी क्या जरूरत है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय दुबे ने बताया कि यह काम इस तरह से किया जाएगा कि किसानों को किसी तरह का नुकसान न हो।
भारतीय किसान संघ की मांगें
भारतीय किसान संघ ने सिंहस्थ मेला के लिए जमीनों के स्थायी अधिग्रहण के मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से लेकर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व तक से शिकायत की है। हाल ही में 9 अगस्त को संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनी मोहन ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा था।
ज्ञापन में रखी गई मुख्य मांगें:
- सरकार कोई भी निर्णय लेने से पहले भारतीय किसान संघ और किसानों के साथ औपचारिक चर्चा करे।
- सिंहस्थ क्षेत्र में स्थायी निर्माण करने की बजाय क्षिप्रा नदी के दोनों किनारों पर मेले की जगह निर्धारित की जाए।
- हर सिंहस्थ में केवल 2-3 महीने के लिए ही जमीन अधिग्रहित करने की व्यवस्था रखी जाए। स्थायी निर्माण से जमीन हमेशा के लिए किसानों से छिन जाएगी, जो आपत्तिजनक है।
- यदि सड़क, बिजली या पानी जैसी जरूरी व्यवस्थाएं करनी हैं, तो सीमित भूमि का अधिग्रहण कर केवल उसी क्षेत्र में अस्थायी निर्माण किया जाए।
- उज्जैन सिंहस्थ में प्रयागराज महाकुंभ की तर्ज पर अस्थायी संरचनाएं बनाई जाएं।
- जिस भूमि का अस्थायी उपयोग किया जाता है, उसके बदले में किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए, क्योंकि ऐसी जमीन खेती के लिए कुछ समय तक अनुपयोगी हो जाती है।
किसानों की आपत्तियां और विवाद का डर
किसान संघ का कहना है कि अब तक किसान अपनी जमीन खुशी-खुशी उपलब्ध कराते रहे हैं, लेकिन स्थायी निर्माण से आपत्तियां और विवाद पैदा होंगे। उनका मानना है कि सरकार की इस योजना से किसानों का हित प्रभावित हो रहा है। किसानों को लगता है कि एक बार उनकी जमीन पर स्थायी ढांचा बन गया तो वह कभी वापस नहीं मिलेगी। यह विवाद का एक बड़ा कारण बन सकता है, जिसे रोकने के लिए संघ ने केंद्र और राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।
