सामूहिक क्षमावाणी : साझा मंच से एकजुटता का संदेश, मोबाइल मेमोरी की तरह गलतियों को भी डिलीट करें

सामूहिक क्षमावाणी

सामूहिक क्षमावाणी कार्यक्रम में एक मंच पर आए श्वेतांबर-दिगंबर संत

उज्जैन, अग्निपथ। शहर में पहली बार श्वेतांबर एवं दिगंबर समाज का सामूहिक क्षमावाणी व प्रवचन का कार्यक्रम ऐतिहासिक स्तर पर आयोजित हुआ। जिसमें उज्जैन में चातुर्मास के लिए विराजित सभी संतों ने मंच साझा किया एवं सकल जैन समाज को एक जूटता से रहने का संदेश दिया। रविवार सुबह 9 बजे से अरविंद नगर स्थित मनोरमा गार्डन में हजारों समाज जनों की मौजूदगी में दोनों परंपरा के संतों के आशीर्वचन हुए। बाद में सभी समाज जनों ने एक दूसरे से क्षमायाचना की।

मणिभद्र तीर्थोद्धारक आचार्य अशोक सागर सूरी जी, आचार्य सागरचंद्र सागर सूरी जी, आचार्य विवेकचंद्र सागर सूरी, आचार्य कल्पयश विजय सूरी, प्रसन्न मना मुनि प्रणुत सागर जी, साध्वी हितदर्शना श्री जी सहित अन्य मुनि मंडल ने सामूहिक क्षमावाणी निश्रा प्रदान की। सामूहिक क्षमावाणी कार्यक्रम के सूत्रधार विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा रहे। उनके प्रयासों से ही सकल जैन समाज एकजुट होकर क्षमावाणी कार्यक्रम में शामिल हुआ। जिस पर सकल संघ के ट्रस्ट मंडलों द्वारा उनके परिवार का बहूमान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राहुल कटारिया ने किया एवं आभार अनिल गंगवाल ने माना।

क्षमाभाव से ही विश्व वंदनीय बने प्रभु महावीर : आचार्य सगरचंद सागर

आचार्य सगरचंद सागर सूर्य जी ने कहा कि प्रभु महावीर क्षमाभाव से ही विश्व वंदनीय बने। हम मोबाइल की अतिरिक्त मेमोरी की तरह बीते वर्ष की गलतियों को डिलीट करें और जिस किसी के भी प्रति मन में वेमनस्यता का भाव हो वह हटा ले। और जहां बात जैन के कल्याण की हो वहां पूर्ण एकजुट रहना चाहिए। हम संत तो एक है, अंबारी समाजजनों की है कि वह भी एक रूप में रहकर एक दूसरों की मदद करें।

मुनिश्री का आग्रह : जन्म कल्याणक के जुलूस में एक ही पालकी में दोनों प्रतिमाओं (श्वेतांबर- दिगंबर) को विराजमान करें

मुनि प्रणुत सागर जी ने कहा कि यदि किसी समाज में विकृति लाना हो तो उसका भोजन, भैंष,….बिगाड़ दो। उस समाज का धीरे-धीरे पतन होने लगेगा। जो युवा बड़े शहरों में पढऩे या जॉब करने जा रहे हैं उन पर पेरेंट्स को अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने आह्वान किया कि जब संत सामूहिक क्षमावाणी मंच पर एक साथ आ गए हैं तो क्यों ना महावीर जन्म कल्याणक के जुलूस में एक ही पालकी में दोनों प्रतिमाओं (श्वेतांबर- दिगंबर) को विराजमान करें। यह सच्ची एकता होगी।

आचार्य कल्पयश विजय सुररीश्वर जी ने कहां की हम हिंसा न करें केवल यही अहिंसा नहीं है। यह एक व्यापक शब्द है जिसका बोध प्रभु महावीर की वाणी को जानकर ही किया जा सकता है। क्षमाभाव केवल ऊपरी मन से नहीं आंतरिक आत्मा से होना चाहिए तभी इस क्षमावाणी का सार्थक महत्व है।

ये थे मौजूद

सामूहिक क्षमावाणी अवसर पर श्वेताम्बर जैन समाज से सुभाष दुग्गड़ दिलीप दुग्गड़, शैलेंद्र जैन, पूर्व मंत्री पारस जैन, नरेश भंडारी, राकेश कोठारी, संजय मेहता, दिनेश जैन, अभय जैन मामा, डॉ. संजीव जैन, डॉ. राहुल कटारिया, रितेश खाबिया, दीपक डागरिया, मनीष पीपाड़ा, रुपेश नाहर, अशोक चत्तर, सोहन आँचलिया, दिगंबर जैन समाज से नितिन डोसी, प्रसन्न बिलाला, नरेंद्र सोगानी, दिनेश जैन सुपर फार्मा, अभिषेक विनायगा, अशोक जैन चायवाला, धर्मेंद्र सेठी, राजेश सेठी, गौरव लुहाडिय़ा, योगेंद्र बडज़ात्या, संजय जैन, शैलेंद्र जैसवाल, सचिन कासलीवाल, अशोक जैन, भरत जैन सहित हजारों जैन समाज जन उपस्थित है।

Next Post

महाकाल का विकास देख खुश हुई जयाप्रदा, बोली मोदी है तो मुमकिन है

Sun Sep 14 , 2025
उज्जैन, अग्निपथ। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर का इतना विकास देखकर प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा ने खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि मोदी है तो सब मुमकिन है। वे इंदौर में एक कार्यक्रम में भाग लेने आई थी जहां से उज्जैन पहुंची और भगवान महाकाल के दर्शन किए। जयाप्रदा अभिनेत्री के साथ […]
जयाप्रदा ने भगवान महाकाल के दर्शन किए।

Breaking News