कहते हैं जब समस्या का हल ना हो तो उससे बड़ी समस्या खड़ी कर दो। पुरानी समस्या खत्म हो जाएगी। ऐसे ही हालात आज केंद्र और प्रदेश सरकार ने पैदा कर दिए हैं। कोरोना का जिन्न बोतल से ऐसा बाहर निकाला कि शहरवासी अब हर समस्या भूल गए हैं।
रोज के ४०-५० मरीजों की लिस्ट और आने वाले समय में लॉकडाउन के भयावह सपने में बंद होते-सिमटते अपने रोजगार-धंधे की कल्पना मात्र से ही आम आदमी अपनी सारी समस्या भूल गया है।
उसे अब एक ही डर सता रहा है कि कहीं पिछली साल की तरह लॉकडाउन नहीं लग जाए और सारे धंधे-रोजगार ठप न हो जाए। यही आम आदमी पिछले महीने तक महंगा पेट्रोल-डीजल, महंगी रसोई गैस, महंगा बस-रेल किराया, महंगा राशन और महंगाई की चपेट में आई रोजमर्रा की चीजों से बहुत परेशान था।
लॉकडाउन के वक्त से चली आ रही बैंकों की बकाया किश्तों के लिए बैंकों की टाइट रिकवरी से दु:खी था। लेकिन वाह सरकार वाह, कोरोना का भूत जनता को ऐसा दिखाया कि अब आमआदमी अपनी सारी समस्या भूल गया है। उसे चिंता है तो सिर्फ खुद के जिंदा रहने और परिवार के भरण-पोषण की।