आगर-मालवा, अग्निपथ। आगर-मालवा के शांत और दृढ़ इच्छाशक्ति वाले कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने अपने ट्रांसफर से ठीक पहले एक महत्वपूर्ण आदेश पारित कर करोड़ों की सरकारी जमीन को भू-माफिया के कब्जे से मुक्त करवाया है। इस फैसले से उन लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई है, जिन्होंने दस्तावेजों में हेराफेरी कर जमीन का रकबा 100 गुना तक बढ़ा लिया था। कलेक्टर के इस कदम से लंबे समय से कानूनी लड़ाई लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों को बड़ी सफलता मिली है।
यह पूरा मामला आगर-मालवा में स्थित सर्वे क्रमांक 67/3 और 210 से जुड़ा है। समाजसेवी आनंद गोयन और उनके पिता पुरुषोत्तम गोयन ने इस जमीन पर हुए अवैध कब्जे को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका के बाद कलेक्टर ने जाँच का आदेश दिया। जाँच में सामने आया कि कुछ लोगों ने सर्वे क्रमांक 67/3 जिसका असली रकबा 375 वर्गफीट था, उसे दस्तावेजों में हेराफेरी करके 100 गुना से भी ज़्यादा बढ़ा दिया था।
इसी तरह, सर्वे क्रमांक 210 की सरकारी ज़मीन में से 0.857 हेक्टेयर का रकबा गलत तरीके से काटकर निजी भूमि सर्वे क्रमांक 67/1 में मिला दिया गया था। इसके अलावा, लोगों ने स्टे ऑर्डर के बावजूद जमीन पर दुकानें बना ली थीं और उन्हें बेच दिया था।
कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने इस धोखाधड़ी को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं:
- अवैध कब्जा हटाने का निर्देश: कलेक्टर ने अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को आदेश दिया है कि वे सरकारी जमीन सर्वे क्रमांक 210 पर अवैध रूप से कब्जा किए हुए लोगों को तुरंत हटाएँ।
- दस्तावेजों की जाँच: उन्होंने निर्देश दिया है कि रजिस्ट्रियों की गहनता से जाँच की जाए। अगर कोई हेराफेरी या जालसाजी मिलती है, तो दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
- खसरा से नाम हटाने का आदेश: कलेक्टर ने खसरा रिकॉर्ड से उन सभी लोगों के नाम हटाने का आदेश दिया है, जो सरकारी ज़मीन पर अवैध रूप से काबिज़ हैं।
- अतिरिक्त जमीन पर कब्जा: सर्वे क्रमांक 67/3 में 375 वर्गफीट से अधिक की जमीन पर हुए अवैध कब्जे को हटाने और उसे सरकार के पक्ष में सुरक्षित करने का भी आदेश दिया गया है।
कलेक्टर के इस फैसले के बाद, पंकज और सुमित अटल जैसे लोगों ने जिन पर दस्तावेज में गड़बड़ी करने का आरोप है, उन्हें बड़ा झटका लगा है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील सत्यनारायण पुरोहित और पुरुषोत्तम गोयन खुद पेश हुए थे।
