शतरंज…
राजनीति में अगर आगे रहना है। तो शतरंज का खेल जरूर आना चाहिये। ताकि कब-कहां-कैसे-किस चाल से-विरोधी को चित किया जा सके। इस खेल में अपने विकास पुरुष माहिर है। तभी तो मास्टर प्लान को लेकर उन्होंने अपनी अगली चाल चल दी है। तीनों गांवों के उनके समर्थक बाहर निकल आये हैं। ज्ञापन दे रहे हंै। सिंहस्थ भूमि होने से इंकार कर रहे हैं। इसमें एक आर्किटेक्ट भी कूद पड़े हैं। अब सवाल यह है कि दिसम्बर 20 से तीनों गांवों को लेकर मसला उठ रहा था। तब ग्रामवासी क्यों चुप थे। विरोध करने आगे क्यों नहीं आये। जब दावे-आपत्ति में पक्ष कमजोर दिखा। तो विकास पुरुष ने सभी को छू कर दिया। ऐसा उनके ही समर्थक बोल रहे हैं। जिससे हमारा क्या लेना-देना। हमारा तो काम है बस चुप रहना।
तारीफ…
अपने वजनदार जी की एक मामले में तारीफ करनी होगी। आम जनता के हित के लिए लड़ते हैं। जो बात कोई जनप्रतिनिधि नहीं बोल पाता, वह बात खुली बैठक में दम ठोककर बोलते हैं। आपदा प्रबंधन की बैठक थी। अपने पहलवान-ढीला-मानुष-लेटरबाज भी मौजूद थे। दूर से बैठकर अपने विकास पुरुष भी इस बैठक से जुड़े थे। तब कोरोना पीडि़तों के लिए अस्पताल में बेड बढ़ाने की बात वजनदार जी ने दम ठोककर उठाई। देवास के अस्पताल में भी बेड आरक्षित की बात रखी। मगर बाकी सभी चुप रहे। तो हम जनहित के लिए आवाज उठाने वाले वजनदार जी की तारीफ करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
दौरा करें…
अपने कमलप्रेमी लेटरबाज जी अच्छे वक्ता नहीं है। यह उनको और सभी को पता है। मगर सुर्खियों में रहने के फंडे खूब समझते हैं। घटना आपदा प्रबंधन की बैठक से ही जुड़ी है। जिसमें उन्होंने सुझाव दिया था। सुझाव यह था कि आगर रोड स्थित उस कॉलेज का दौरा किया जाये। जो पिछले साल कोरोना मौत के कारण चर्चित रहा। इसके पीछे मकसद था। दौरा होगा तो फोटो भी छपेगी। मगर उनके सुझाव पर कोई तवज्जों नहीं दी गई। इधर अपने ढीला-मानुष तो बैठकों में कोई सुझाव देते ही नहीं है। उत्तर-दक्षिण के इशारे पर ही उनकी जुबान हिलती है। तो वह चुप रहे। हम भी उनकी इस आदत का अनुशरण करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
चुपचाप…
कभी ऐसा नजारा नहीं देखा। प्रेस कांफ्रेंस हो रही है। वह भी मास्टर प्लान को लेकर। मंच पर अपने पंजाप्रेमी चरणलाल जी- पहलवान और राम के लाल मौजूद है। इंदौरी नेता उस विषय पर अपने ज्ञान दे रहे हैं। जिससे उनका कोई नाता ही नहीं है और जिनका नाता है। वह पूरे समय मूकदर्शक बनकर चुपचाप बैठे रहे। स्थानीय होने के बाद भी, इन तीनों का 1 शब्द कांफ्रेंस में नहीं बोलना? कुछ तो संकेत दे रहा है। तभी तो पंजापे्रमी यह नजारा देखकर चर्चा कर रहे है। आखिर तीनों की चुप्पी का राज क्या है। देखते है कि पंजाप्रेमी इस चुपचाप रहने का कारण खोज पाते है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हंै।
रोग…
हम कोरोना रोग की बात नहीं कर रहे हैं। जिसका कोई इलाज नहीं है। मगर ऐसा ही एक रोग है। जिसे छपास-रोग बोलते हैं। यह भी लाइलाज रोग है। बस एक बार छपने का रोग लग जाये। फिर यह सबकुछ करवाता है। जैसे अपनी वर्दीवाली मैडम को लग गया है। नतीजा उन्होंने खुद का एक सोशल मीडिया ग्रुप बना लिया है। जिसमें कोई भी कार्रवाई होने से पहले सूचना डल जाती है। मुंह लगे खबरची, मैडम से पहले घटना स्थल पर होते हैं। आखिर ग्रुप के नामानुसार प्रथम-खबर जो मिल जाती है। अब वर्दीवाले ही इस छपास रोग को लेकर, मैडम के रोग की चर्चा कर रहे हैं। जिससे हमारा क्या लेना-देना। हमारा तो काम है बस चुप रहना।
डायरी…
क्या वाकई जिले में अवैध शराब बिकना बंद है। हमारा मतलब डायरी से मिलने वाली शराब से है। वर्दी भले ही दावा करती है। डायरी बंद है और गांव-गांव में शराब नहीं बिकती है। मगर रतलाम और उज्जैन जिले की बार्डर पर एक गांव है। जिसका नाम मकोड़ी है। वहां खुलकर शराब बिक रही है। ग्रामवासी परेशान है। कारण बीच चौराहे पर दुकान है और आहता भी खुल गया है। वर्दी को बोल नहीं सकते, क्योंकि लिफाफे में हर माह हमदर्दी मिलती है। ऐसे में ग्रामवासियों ने हमदर्दी की गुहार कप्तान से लगाई है। कप्तान लिफाफे की हमदर्दी से दूर है। तो शायद कार्रवाई हो जाये। वरना हमें तो चुप रहना ही है।
जल्दबाजी..
अपने मामाजी के आक्रमक तेवर है। कोई भी-किसी भी प्रकार का माफिया हो। जमीन के अंदर गाड़ देंगे। यह बोल चुके हैं। जब भू-माफिया अभियान की शुरुआत हुई थी। तब अपने बदबू वाले शहर में हडक़ंप मच गया था। अनुभाग के मुखिया ने एक-दो नहीं, बल्कि पूरे 11 प्रकरण दर्ज करवा दिये थे। बदबू वाले शहर के नामी-गिरामी भू- माफियाओं पर। इनमें से अधिकतर कमलप्रेमी माफिया है। नतीजा बात अपने ताऊजी तक पहुंची। उन्होंने नाराजगी दिखाई। बस फिर सबकुछ शांत हो गया। जिनके खिलाफ प्रकरण दर्ज हुए। वह आज भी आजाद होकर बदबू वाले शहर में खुलेआम घूम रहे हैं। वर्दी ने अपनी आंखे बंद कर रखी है। तो हम कौन होते है, बंद आंखों को खुलवाने वाले। हम भी अपनी आंखे बंद करके, आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
नौटंकी…
पिछले सप्ताह एक नौटंकी का शुभारंभ हुआ था। रोज सुबह 11 और शाम 7 बजे सायरन बजेंगे। आलाधिकारी सडक़ों पर रहेंगे। जनता को सलाह देंगे और गोल घेरे बनायेंगे। अपने मामाजी के निर्देश थे। मगर यह नौटंकी 1 दिन ही चल पाई। जबकि 31 मार्च तक के निर्देश थे। अब इस नौटंकी के बंद होने से अधिकारी वर्ग खुश है। पिंड छूटा-मुक्ति मिली। ऐसा बोल रहे है। तो हम भी उनकी खुशी में शामिल होते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
डिमांड…
पॉजीटिव मरीज को घर से लेकर जाने वाली एम्बुलेंस का ड्रायवर, मरीज को अंदर रखते ही राशि की डिमांड कर रहा है। कॉलेज में पहुंचने के बाद नर्स डिमांड कर रही है। जांच रिपोर्ट की राशि जमा कराओं। रात 12 बजे तक परिजनों को फोन करके परेशान किया जा रहा है। राशि के लिए। आखिर यह सब क्या हो रहा है। नीली फिल्मों के शौकीन को कोई मतलब नहीं है। मरीजों के साथ क्या हो रहा है। इधर अपने उम्मीद जी को कुछ पता नहीं है। अंदर ही अंदर क्या हो रहा है। हम उम्मीद रखते है कि अपने उम्मीद जी इस अव्यवस्था पर अकुंश लगायेंगे- ताकि मरीजों के चेहरे खुशी से मुस्कुरायेंगे- और हम भी यह सब देखकर … अपने आदत के अनुसार चुप रह पायेंगे।
निजी यात्रा …
सिहंस्थ 2016 के अपने मौनी बाबा-3 की याद तो पाठकों को होगी। वही … जो सिहंस्थ प्रभारी थे। अभी हाल ही में आये थे। निजी प्लेन से उनका आगमन हुआ था। उसके पहले ही सूचना आ गई थी। कोई प्रोटोकॉल नहीं- कोई प्रचार-प्रसार नहीं। देवदर्शन किये और वापस निजी प्लेन से निकल गये। अब मौनी बाबा- 3 की इस निजी यात्रा को लेकर कमलप्रेमी सवाल उठा रहे है। आखिर क्या कारण था? इतनी निजी व गोपनीय यात्रा का। अभी तक कमलप्रेमियों को इस सवाल का जवाब नहीं मिला है। इसीलिए सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
शुभकामनाएं…
चुप रहेंगे के सभी सुधि पाठकों को रंगों के त्यौहार होली की रंग-बिरंगी शुभकामनाएं। होली मनाये… मगर घरों के अंदर… दूरी बनाकर रखे।