पुलिस का विवाद लगातार सुर्खियां बंटोरता जा रहा है। हाल ही के दिनों में नीलगंगा थाने के पुलिस जवानों ने लालपुल के यहां पर एक मीडियाकर्मी से बदतमीजी की थी। इतना ही नही ंमीडियाकर्मी पर पुलिस ने रातों रात शासकीय कार्य में बाधा का मुकदमा भी दर्ज कर लिया था।
पुलिस का कहना था कि मीडियाकर्मी नशे की हालत में था। दो दिन पहले भी कुछ ऐसा ही घटनाक्रम घटित हुआ। जिसमें सिंधी कॉलोनी चौराहें पर पुलिसकर्मियों का विवाद अभिभाषक के साले से हुआ।
टॉवर पर इसी विवाद ने बड़ा रूप धारण कर लिया। यहां पर भी पुलिस का एक ही रटारटाया जबाव आया कि अभिभाषक के साले ने शराब पी रखी थी। पुलिस और जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों का बेहतर तालमेल रहता है।
कई अवसरों पर पुलिस डॉक्टरों से अपने हिसाब से रिपोर्ट लिखा लेती है। जहां-जहां पुलिस का विवाद होता है, वहां-वहां पुलिस कर्मी सही साबित होते हैं और बाकी सब गलत ही नजर आते हैं। लॉकडाउन की अवधि के दौरान पुलिस बदसलूकी के साथ-साथ मनमानी पर उतारू हो जाती है। यह बात किसी से भी छिपी हुई नहीं है। यह घटनाक्रम भी ऐसा ही कुछ नजर आता है।