महाकाल की आरतियों में पहली बार बजेगा मंदिर का बैंड

समिति ने तैयार की 30 लोगों की टीम, दिवाली से शुरू करेंगे, रोज प्रेक्टिस

उज्जैन, अग्निपथ। महाकाल मंदिर में रोज होने वाली विभिन्न आरतियों में श्रद्धालुओं को अब बैंड की धुन भी सुनाई देगी। मंदिर समिति ने इसके लिए 30 लोगों की टीम का एक खुद का बैंड तैयार कर लिया है। टीम के सदस्य रोज परिसर में खड़े होकर बैंड पर धार्मिक भजनों व मंत्रों की धुन बजाकर प्रेक्टिस कर रहे हैं।

महाकाल मंदिर के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब आरतियों में रोजाना बैंड बजेगा। ऐसा भी कहा जा रहा है कि देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में भी महाकाल पहला मंदिर है जहां खुद बैंड होगा व आरतियों में इसकी प्रस्तुति दी जाएगी। मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि काफी समय से इसकी मांग चली आ रही थी। अब जाकर बैंड तैयार हुआ है। जिसमें 21 से 30 तक कलाकार शामिल होंगे। इसे ट्रायल पर इसी दीपावली से शुरू करने जा रहे है।

इस बैंड को भविष्य में महाकाल की सवारियों में शामिल करेंगे

बैंड में सभी पारंपरिक और आधुनिक वाद्य यंत्र का समावेश रहेगा। इनमें शिव स्तुति, भजन और मंत्रों की धुनें सुनाई देंगी। आने वाले समय में महाकाल मंदिर से निकलने वाली सवारी में भी बैंड को शामिल किया जाएगा। मंदिर समिति ने बैंड के लिए आवश्यक वाद्य यंत्र की खरीदारी दानदाताओं की मदद से शुरू कर दी है। बैंड के सभी सदस्यों का एक निर्धारित ड्रेस कोड तैयार हो रहा है।

आरतियों में 300 साल से बजती आ रही शहनाई

महाकाल मंदिर में अब तक सुबह व शाम की आरती के समय शहनाई व नगाड़ों का वादन किया जाता है। यह परंपरा सिंधिया स्टेट के समय से है। करीब 300 सालों से आज तक इसका वादन जारी है। पीढ़ीयों से शहनाई वादन करते आ रहे परिवार के लोग आज भी रोज मंदिर आकर इस परंपरा का निर्वहन करते हैं तथा सुबह की सुबह 7 बजे और शाम की 7 बजे की आरती में शहनाई वादन होता है।

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