धार सहित 4 जिलों के कलेक्टरों को निर्देश
धार, अग्निपथ। सरदार सरोवर बांध के डूब प्रभावितों और विस्थापितों को उचित पुनर्वास सुनिश्चित करने की दिशा में हाईकोर्ट इंदौर ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। न्यायालय ने विस्थापितों के भूखंड आवंटन पत्रों को रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत करने के निर्देश दिए हैं, जो पिछले कई वर्षों से लंबित था। यह आदेश धार सहित बड़वानी, खरगोन, और आलीराजपुर के हजारों विस्थापित परिवारों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।
शासन ने स्वीकारा, भूखंड पंजीकृत नहीं थे
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई 14 (चौदह) अक्टूबर को हाईकोर्ट में हुई। कोर्ट में शासन की ओर से मौजूद अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश राजोरा ने यह स्वीकार किया कि सरदार सरोवर परियोजना के विस्थापितों को जो भूखंड आवंटन पत्र दिए गए थे, वे आज तक रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत नहीं हुए हैं।
न्यायालय ने इस पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि साल 2002 से हजारों विस्थापितों को भूखंड दिए गए, लेकिन इन आवंटन पत्रों को भारतीय पंजीयन अधिनियम 1908 की धारा 17 के तहत अब तक पंजीकृत नहीं किया गया है।
विस्थापितों की समस्या
पंजीयन न होने के कारण विस्थापितों को निम्नलिखित अधिकार नहीं मिल पा रहे थे:
- नामांतरण, सीमांकन, बंटवारा।
- गिरवी, विक्रय या किसी अन्य व्यक्ति के नाम हस्तांतरण।
- आवंटन पत्र खोने या नष्ट होने पर नया पत्र प्राप्त करने में कठिनाई।
धार कलेक्टर को विशेष निर्देश: समिति गठित कर कार्रवाई करें
न्यायाधीश विवेक रूसिया और बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने धार समेत बड़वानी, खरगोन और आलीराजपुर जिलों के कलेक्टरों को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं:
- समिति का गठन: कलेक्टर एक समिति गठित करेंगे, जिसमें उप प्रभागीय अधिकारी (एसडीओ), तहसीलदार और उपपंजीयक (स्टाम्प्स) सदस्य शामिल होंगे।
- पंजीयन कार्य: समिति उन विस्थापितों या उनके वारिसों के नाम पर भूमि का पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) करेगी, जिनके पक्ष में आवंटन या विक्रय पत्र जारी हुए हैं।
- अभिलेखों में दर्ज: पंजीयन के बाद नाम राजस्व अभिलेखों और नक्शों में दर्ज किए जाएंगे।
- ग्राम पंचायत/नगर पालिका अभिलेख: इसके बाद संबंधित ग्राम पंचायत या नगर पालिका अपने अभिलेखों में नाम दर्ज करेगी।
दो महीने में प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश
- प्रभावितों की समस्या के समाधान के लिए धार सहित जिला मुख्यालयों पर प्राथमिकता से एक विशेष शिविर आयोजित किया जाएगा।
- इस कार्य के अनुपालन की जिम्मेदारी अतिरिक्त मुख्य सचिव राजोरा की होगी।
- न्यायालय ने इस पूरी प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए 2 (दो) महीने की समय-सीमा निर्धारित की है।
- नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर को निर्देशित किया गया है कि वे विस्थापितों और समितियों के बीच समन्वय स्थापित करें।
- मामले की अगली सुनवाई 5 (पाँच) जनवरी 2026 को होगी।
यह आदेश उन हजारों विस्थापितों को उनका वास्तविक भूमि स्वामित्व अधिकार दिलाएगा, जो पिछले दो दशकों से अपने भूखंडों पर अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे थे।
