धार, अग्निपथ। धार जिला मुख्यालय के पास नागदा-गुजरी मार्ग पर रेलवे ब्रिज के निर्माण के लिए बनाए गए अंडरपास ने आम जनता के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है। पिछले कुछ महीनों से यह वैकल्पिक मार्ग लोगों के लिए दुःस्वप्न बन गया है, जहाँ पानी के रिसाव और कीचड़ के कारण बाइक सवार हर रोज गिर रहे हैं।
माना जाता है कि देश में अगर सही कार्य होता है तो वह रेलवे करती है, लेकिन सुनारखेड़ी रोड पर बने इस नए अंडरपास की दीवारों से पानी लीकेज हो रहा है, जिससे पूरे अंडरपास में पानी भर गया है। यह स्थिति रेलवे की विकास की रफ्तार और उसकी इंजीनियरिंग की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
अधिकारी मौन, जनता परेशान
ब्रिज को तोड़ने से पहले आरटीओ, यातायात और रेलवे अधिकारियों ने कई दौरे किए थे, लेकिन किसी भी जिम्मेदार अधिकारी को जनता की आने वाली परेशानी नहीं दिखी। वर्तमान में इस कीचड़ भरे मार्ग से लोगों का निकलना दूभर हो गया है, और उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। दिव्यांश यादव नामक एक नागरिक ने बताया कि रोड के बीच गड्ढा हो गया था, जिससे उनकी गाड़ी का टायर चल गया था और वे बड़ी दुर्घटना से बाल-बाल बचे हैं। लोगों का कहना है कि काम चाहे जब पूरा हो, लेकिन अधिकारी कम से कम वैकल्पिक सड़क तो सही करवा दें।
१७ साल बाद भी अधूरी इंदौर-दाहोद रेल लाइन
इधर, इंदौर को मुंबई और गुजरात से सीधी कनेक्टिविटी देने वाली बहुप्रतीक्षित इंदौर-दाहोद रेल लाइन परियोजना $2008$ में शुरू होने के 17 साल बाद भी अधूरी है। केंद्र सरकार ने इस 204.76 किलोमीटर लंबी लाइन के लिए 1873.10 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। वर्ष 2025 के अंत तक धार तक ट्रेन चलाने का दावा किया गया था, लेकिन टीही टनल, भूमि अधिग्रहण और स्टेशन निर्माण में देरी से यह लक्ष्य अधर में लटक गया है।
परियोजना की धीमी रफ्तार
बताया जा रहा है कि इंदौर से धार तक लगभग 75 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ है। धार तक कुल 21 ब्रिज बनने हैं, जिनमें से 19 का कार्य पूरा हो चुका है। हालांकि, सबसे बड़ी बाधा टीही टनल का अधूरा निर्माण है, जिसके पूरा हुए बिना राऊ से कनेक्टिविटी संभव नहीं है।
ट्रैक पर काम की धीमी रफ्तार इस प्रकार है
- सागौर से गुणावद: 15.14 किलोमीटर के हिस्से में केवल 4 किलोमीटर तक ही पटरियाँ डल पाई हैं।
- गुणावद से धार: 14.02 किलोमीटर के हिस्से में 9.8 किलोमीटर ट्रैक तैयार है, लेकिन दो ब्रिज और स्टेशन का स्ट्रक्चर अधूरा है।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि भूमि अधिग्रहण और टनल का कार्य पूर्ण होते ही काम की गति बढ़ाई जाएगी। जनता अब बस यही कह रही है कि जो काम चल रहा है, उसे जल्दी पूरा कर दिया जाए।
लीकेज पर रेलवे का तर्क
दो साल पहले बने इस अंडरपास में रेलवे ने पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की। बारिश के दौरान यहाँ मोटर पंप लगाकर पानी निकालना पड़ा था। रेलवे के दावों के बावजूद पाँच से अधिक स्थानों से पानी लीकेज हो रहा है, जिस पर रेलवे का तर्क है कि यह रिसाव ज़मीन से हो रहा है।
