धार, अग्निपथ। जिले की सबसे बड़ी कृषि उपज मंडी धार में मंगलवार को सोयाबीन की बंपर आवक दर्ज की गई, लेकिन भावांतर योजना के तहत कम किसानों की ही उपज खरीदी जा सकी। दो दिन की छुट्टी के बाद मंडी खुलते ही 700 के लगभग ट्रैक्टर-ट्रॉली उपज लेकर पहुंचे, जिससे मंडी परिसर खचाखच भर गया और सड़क पर भारी जाम लग गया। हालांकि, 9 हज़ार क्विंटल से अधिक सोयाबीन की आवक के बावजूद, शाम 5 बजे तक महज़ 165 किसानों ने ही भावांतर योजना के तहत अपनी सोयाबीन बेची, जिसकी आवक लगभग 3500 क्विंटल रही।
इस योजना के तहत कम खरीदी का सबसे बड़ा कारण उपज का एफएक्यू (FAQ) मापदंड पर खरा नहीं उतरना रहा। लगातार बारिश के कारण सोयाबीन की क्वालिटी खराब होने से कई किसानों का माल रिजेक्ट हो गया, जिससे बड़ी संख्या में किसान योजना के लाभ से वंचित रह सकते हैं। इस रोड़े को लेकर किसान संघ ने विरोध दर्ज कराया है। भारतीय किसान संघ के महामंत्री अनमोल पाटीदार ने कहा कि एफएक्यू का अड़ंगा इसलिए लगाया गया है ताकि किसानों को लाभ न मिले और उन्होंने नकद भुगतान की मांग भी की।
शासन द्वारा योजना में ऑनलाइन भुगतान की शर्त लागू की गई है, जिसके अनुसार नकद भुगतान प्राप्त करने पर किसान को भावांतर का लाभ नहीं मिलेगा। रबी फसल की बुवाई के लिए बीज और खाद खरीदने हेतु पैसे की तत्काल आवश्यकता होने के कारण किसान नकद भुगतान की मांग कर रहे हैं, उनका कहना है कि योजना में यह बड़ी विसंगति है।
आवश्यक व्यवस्थाओं की कमी के चलते मंडी में मंगलवार को अव्यवस्था का माहौल रहा। वाहनों की इंट्री और निकासी एक ही गेट से होने के कारण मुख्य गेट से लेकर धारेश्वर मंदिर से छत्री तक वाहनों की लंबी लाइन लग गई और कई बार जाम की स्थिति बनी, जिसे किसानों को ही खुलवाना पड़ा। मंडी प्रशासन के जाम न लगने के दावे मंगलवार को पूरी तरह फेल हो गए। इस बार जिले में सवा तीन लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोई गई थी, लेकिन भावांतर योजना के लिए महज 38 हजार किसानों ने ही पंजीयन कराया था।
