प्रदेश सरकार द्वारा नगर निगम के राजस्व में वृद्धि के मान से टैक्स में बढ़ोत्तरी कर दी गई थी। जलकर सहित कचरा उठाने के टैक्स में एकाएक 2 से 3 गुना वृद्धि कर दी गई थी। इस वृद्धि को लेकर प्रदेशभर में कांग्रेस ने मोर्चाबंदी की तैयारियां शुरू कर दी थी।
रंगपंचमी के बाद प्रदेशभर में कांग्रेस ने आंदोलन का मन बना लिया था। वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को जब यह लगा कि सिर पर नगरीय निकाय चुनाव है ऐसे में कांग्रेस के हाथ बड़ा मुद्दा लग सकता है तो ताबड़तोड़ सरकार ने निर्णय वापस ले लिया। भारतीय जनता पार्टी इस बात को भली-भांति समझ रही थी कि विभिन्न करों में वृद्धि सीधे-सीधे मध्यमवर्गीय आम आदमी को प्रभावित कर रही है।
वह भी ऐसे समय में जब केन्द्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम घटाने से इंकार कर दिया है। कहीं न कहीं आम आदमी को यह दोहरी मार पडऩे जैसा हो रहा था। सरकार ने अपनी किरकिरी होती देख विभिन्न करों में वृद्धि का निर्णय फिलहाल टाल दिया है। यदि सरकार इस निर्णय को नहीं टालती तो निश्चित रूप से कांग्रेस के हाथ एक बड़ा मुद्दा लगता है, वहीं नगरीय निकाय चुनाव में इसका परिणाम भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ता।