धार, अग्निपथ। धार जिले के कई क्षेत्रों में पिछले दिनों हुई लगातार बेमौसम वर्षा ने किसानों की चिंताएँ एक बार फिर बढ़ा दी हैं, जिसके चलते किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इस ‘मावठे’ के पानी को फसलों के लिए ‘कड़वा ज़हर’ माना जा रहा है, जिसने विशेष रूप से मटर और लहसुन की फसलों को सर्वाधिक हानि पहुँचाई है।
तीन से चार दिन तक मौसम खराब रहने और बारिश होने के कारण खेतों में जलभराव की स्थिति बन गई। इससे खुले में पड़ी सोयाबीन और मक्का की फसल भीग गई, वहीं खेतों में खड़ी कच्ची मटर, बोई गई मटर, गेहूँ और चना की फसलों को भी नुकसान हुआ है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि मटर के फूलों और फलियों के लिए यह बारिश अत्यंत हानिकारक है, जिससे फसल की गुणवत्ता घटने और बाज़ार भाव गिरने की संभावना है।
मटर और लहसुन को सबसे ज़्यादा नुकसान
- मटर और लहसुन: मानसून जाने के बाद हुई इस बारिश ने मटर और लहसुन की फसल को सबसे ज़्यादा प्रभावित किया है। तेज़ वर्षा से खेतों में खड़ी मटर की फसल पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
- रकबा और उद्देश्य: इस बार क्षेत्र में मटर का रकबा लगभग दो हज़ार हेक्टेयर तक पहुँच गया था। किसानों ने ऊँचे भाव का लाभ लेने के लिए जल्दी बुवाई की थी, मगर बेमौसम बारिश से उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।
- बाज़ार पर असर: कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, पानी से नाजुक फलियों के टूटने से उपज और गुणवत्ता दोनों पर असर पड़ेगा। इससे किसानों को उत्पादन और दाम दोनों में नुकसान होगा, हालांकि आपूर्ति सीमित होने से बाज़ार में दामों में तेज़ी बनी रह सकती है।
उद्यानिकी फसलों पर भी असर
- अनार: उद्यानिकी फसलों पर भी बेमौसम वर्षा का असर दिखाई दिया है। अनार इस समय फ्लोरिंग स्टेज (फूल आने की अवस्था) में थे, लेकिन लगातार नमी के कारण मधुमक्खियों की आवाजाही बाधित हुई, जिससे परागण (Pollination) प्रभावित हुआ और फल लगने की दर कम हो सकती है।
- अमरूद: अमरूद का स्वाद खत्म हो गया है और फल खराब होने लगे हैं, जिन्हें किसान तोड़कर फेंक रहे हैं।
- स्ट्रॉबेरी और अन्य फल: तेज़ वर्षा और हवा चलने से फलों के टूट जाने और डालियों के क्षतिग्रस्त होने की सूचना है। स्ट्रॉबेरी की खेती में अत्यधिक नमी से फूल झड़ने और उत्पादन घटने का खतरा है।
गेहूँ-चना की बोवाई में देरी
- लेट बोवाई: सोयाबीन कटाई के बाद गेहूँ-चने की बोवाई की जो तैयारी थी, वह बारिश के कारण रुक गई। किसानों को खेतों में मोटरों को बंद करना पड़ा और अब गेहूँ की बोवाई 10 से 15 दिन लेट हो गई है।
- खर्च में वृद्धि: बारिश के कारण किसानों का खेतों में दो से तीन बार जुताई का खर्च भी बढ़ गया है। किसान अब एक बार फिर से खेती के काम में जुट गए हैं।
