सांदीपनि आश्रम में बालकृष्ण और बलराम को पहनाये गर्म कपड़े
उज्जैन, अग्निपथ। नवंबर के दूसरे सप्ताह में कड़ाके की सर्दी पडऩा शुरु हो गई है। दो दिन से रात का तापमान में गिरावट आ रही है। शनिवार को पारे में फिर से ढाई डिग्री की गिरावट आई। पारा 10.4 डिग्री पर पहुंच गया है। इसके पीछे हिमाचल-उत्तराखंड में हो रही भारी बर्फबारी के असर को बताया जा रहा है। हालांकि दिन के तापमान में धूप निकलने के कारण मामूली वृद्धि दर्ज की गई है।
शहर में ठंड की शुरुआत नवम्बर के दूसरे या तीसरे सप्ताह में हो जाती है, लेकिन इस बार ठंड की शुरुआत पहले ही सप्ताह में हो गई। हिमाचल में हो रही बर्फबारी से शहर के मौसम में भी बदलाव आया है और पिछलें दो दिन से ठंड तेज हो गई। अब हाल यह है कि शाम और सुबह के समय गर्म कपड़े पहनना जरूरी हो गया।
बाल कृष्ण और बलराम को गर्म कपड़े पहनाये
ठंड बढऩे के साथ ही सांदीपनि आश्रम में भी भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा के बाल रूप की सेवा-सुश्रुषा में बदलाव किया गया है। भगवान को सर्दी का एहसास न हो, इसलिए आश्रम में उनकी दिनचर्या में ऊनी वस्त्र, गर्म भोजन और संध्या के समय अंगीठी की व्यवस्था की गई है। साथ ही शाम को भगवान को गर्म दूध के साथ जलेबी का भोग भी लगाया जा रहा है।
बाल रूप के अनुरूप होती है सेवा
सांदीपनि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम की सेवा बाल स्वरूप में की जाती है। पंडित कीर्ति व्यास के अनुसार पौराणिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने यहां 11 वर्ष की आयु में शिक्षा ग्रहण की थी। इसलिए आज भी उनकी बाल रूप में सेवा की जाती है। जैसे ही सर्दी बढ़ती है, भगवान को ऊनी वस्त्र पहनाए जाते हैं और प्रतिमा के समीप अलाव की व्यवस्था की जाती है, ताकि ठंड का प्रभाव न पड़े।
मकर संक्रांति तक जारी रहेगा यह क्रम
पंडित व्यास ने बताया कि सूर्यदेव के उत्तरायण होने तक यह विशेष शीतकालीन सेवा जारी रहेगी। आश्रम में रोजाना शाम को अंगीठी जलाकर रखी जाती है और भगवान की सेवा-विधि में गर्माहट प्रदान करने वाले सभी आवश्यक उपाय शामिल रहते हैं।
