गौ सम्मान आह्वान अभियान: गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाने की मुहिम

संतों की अगुवाई में बड़ा फैसला

झारड़ा, अग्निपथ। नगर के मुहाने स्थित सोमेश्वर महादेव मन्दिर में गुरुवार को ‘गौ सम्मान आह्वान अभियान’ के निमित्त एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में उपस्थित संतों, गोभक्तों और गोसेवकों ने सर्वसम्मति से एक ऐतिहासिक निर्णय लिया।

गौमाता के प्रधान संरक्षण में चलेगा आंदोलन!

यह अभियान किसी संस्था, संगठन या राजनीतिक दल के बैनर तले नहीं, बल्कि गौमाता के प्रधान संरक्षण और नंदी बाबा की अध्यक्षता में संचालित होगा। गोसेवकों ने एक स्वर में स्पष्ट किया कि यह पूरी तरह से एक निष्काम और पवित्र आंदोलन है।

अभियान के मुख्य उद्देश्य:

संतों और गोसेवकों ने सरकार से निम्नलिखित मांगों पर जोर दिया, जिन्हें अभियान का मुख्य उद्देश्य बताया गया:

  • गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाना।
  • गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लागू करवाना।
  • गो संवर्धन और संरक्षण के लिए ठोस सरकारी नीतियां बनवाना।

 

संतों ने की केन्द्रीय कानून की मांग

उपस्थित संतों ने केन्द्र सरकार से गौ रक्षा के लिए एक केन्द्रीय कानून बनाने का आग्रह किया। उन्होंने मांग की कि:

  • गोहत्या और गोतस्करी में लिप्त अपराधियों को आजीवन कारावास का प्रावधान हो।
  • जब्त किए गए वाहनों को गोशालाओं के उपयोग में लाया जाए।
  • गोबर और गोमूत्र पर आधारित अनुसंधान विश्वविद्यालय स्थापित किए जाएं।
  • पंचगव्य औषधियों का आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में नि:शुल्क वितरण हो।
  • सरकारी भवनों में गोबर पेंट और गौनाइल का उपयोग अनिवार्य किया जाए।
  • गोशालाओं को मनरेगा से जोड़ा जाए और बिजली बिल में छूट दी जाए।
  • निराश्रित गौवंश की सेवा के लिए चारे की उचित व्यवस्था हो।

यह है पूरी कार्ययोजना

अभियान से जुड़ी एक विस्तृत कार्ययोजना भी तैयार की गई है:

  • प्रचार-प्रसार (जनवरी से मार्च 2026): पूरे देश में व्यापक स्तर पर प्रचार किया जाएगा।
  • चरणबद्ध प्रार्थना पत्र (अप्रैल से अक्टूबर 2026): 27 अप्रैल को प्रत्येक तहसील और जिला मुख्यालय पर महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम प्रार्थना पत्र सौंपे जाएंगे। अपेक्षित उत्तर न मिलने पर जुलाई और अक्टूबर 2026 में प्रक्रिया दोहराई जाएगी।
  • दिल्ली में महा-जुटान (27 फरवरी 2027): देश के 800 जिलों और 5000 तहसीलों से संत और गोभक्त राजधानी दिल्ली में एकत्र होंगे।
  • छह माह का शांतिपूर्ण संकीर्तन: दिल्ली में यह संकीर्तन 27 फरवरी 2027 से 15 अगस्त 2027 तक यानी लगातार छह माह चलेगा।

अहिंसक एवं शान्तिपूर्ण होगा अभियान

आयोजकों ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन पूरी तरह अहिंसक और शांतिपूर्ण रहेगा। इसमें किसी प्रकार का भाषण, मंचीय उद्घोषणा या राजनीतिक स्वरूप नहीं होगा। संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। केवल संकीर्तन, प्रार्थना और जनजागरण के माध्यम से संदेश दिया जाएगा। अभियान का प्रतीक केवल नंदी महाराज और गौमाता का चित्र होगा। देश के सभी संतों और गोप्रेमियों ने समस्त सनातन समाज से इस पवित्र और निष्काम आंदोलन से जुडऩे की भावभीनी अपील की है।

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