सीहोर, अग्निपथ। मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (MPRDC) के अधीन आने वाली सड़कों की लगातार बिगड़ती हालत पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। स्थानीय लोग तंज कसते हुए पूछ रहे हैं कि यह “सड़क विकास निगम है या सड़क विनाश निगम?” क्योंकि भोपाल बायपास, भोपाल–विदिशा रोड और आष्टा–कनोदं मार्ग की स्थिति दिनोंदिन खराब होती जा रही है।
खतरा बना भोपाल बायपास:
सूखी–सेवानिया के पास भोपाल बायपास का करीब 100 मीटर हिस्सा अचानक धंसने और 30 फीट गहरा गड्ढा बनने की हालिया घटना ने इन सड़कों की खतरनाक स्थिति को उजागर कर दिया है। बड़े गड्ढों, धंसी एप्रोच, टूटी पुल–पुलियों और खराब लेनों के बीच यात्री हर दिन जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं, जबकि दोनों टोल प्लाज़ा पर टोल वसूली पहले की तरह जारी है और सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन समस्याओं पर जिम्मेदार विभाग मौन हैं। विदिशा और आष्टा–कनोंद मार्ग भी लंबे समय से उपेक्षा का शिकार हैं।
ब्लैक स्पॉट पर कार्रवाई लंबित:
जुलाई में सुप्रीम कोर्ट सड़क सुरक्षा समिति के चेयरमैन, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सप्रे ने राज्य सरकार को ब्लैक स्पॉट हटाने के लिए कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद, देवास–भोपाल रोड के 11 शेष ब्लैक स्पॉट के स्थायी सुधार का प्रस्ताव महीनों से MPRDC में लंबित पड़ा है।
दोहरी तस्वीर:
इसके विपरीत, देवास–भोपाल कॉरिडोर पर पेंटिंग, शोल्डर ड्रेसिंग, रीसर्फेसिंग, नए साइन बोर्ड, क्रैश बैरियर और मशीनरी के साथ मेंटेनेंस कार्य तेज़ी से जारी है। यह दिखाता है कि जहाँ इच्छाशक्ति और निगरानी हो, वहाँ सड़कें बेहतर रखी जा सकती हैं।
वर्तमान स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि प्रदेश में सड़क विकास की तस्वीर दो हिस्सों में बंटी है— एक तरफ सक्रिय व्यवस्था और दूसरी तरफ उपेक्षित सड़कें, जिन पर जिम्मेदार विभागों की चुप्पी यात्रियों की चिंता बढ़ा रही है।
