निजी अस्पताल की बड़ी लापरवाही! गर्भस्थ शिशु की मौत के एक महीने बाद माँ ने भी तोड़ा दम

डॉक्टर पर केस दर्ज करने की मांग

उज्जैन, अग्निपथ। सांवेर रोड स्थित एक निजी अस्पताल में कथित लापरवाही के चलते गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई और उसके एक महीने बाद माँ ने भी दम तोड़ दिया। महिला के पति ने अस्पताल और महिला प्रसूति विशेषज्ञ डॉक्टर पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कड़ी कार्रवाई और प्रकरण दर्ज करने की मांग की है।

रूटीन चेकअप के बाद बिगड़ी तबीयत

देवास रोड निवासी नितेश यादव ने मुख्यमंत्री, एडीजी, एसपी और नीलगंगा थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग की है। नितेश ने बताया कि उनकी पत्नी अंजलि यादव का इलाज देशमुख अस्पताल की संचालक और महिला प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. स्नेहल देशमुख के पास चल रहा था।

शिकायत के अनुसार, 7 अक्टूबर को रूटीन चेकअप के दौरान डॉ. देशमुख ने अंजलि में खून की कमी बताकर आयरन के इंजेक्शन लगाने की सलाह दी। अस्पताल में उनकी देखरेख में दो इंजेक्शन लगाए गए। आरोप है कि इंजेक्शन लगाने से पहले महिला का कोई आवश्यक चेकअप नहीं किया गया, जिसके कारण अंजलि की तबीयत बिगड़ने लगी।

7 घंटे बाद दी शिशु की मौत की जानकारी

तबियत ज्यादा बिगड़ने पर अंजलि को देशमुख अस्पताल में भर्ती किया गया। रात करीब 9 बजे गर्भस्थ शिशु की पेट में ही मौत हो गई। नितेश का आरोप है कि अस्पताल स्टाफ ने इसकी जानकारी परिजनों को 7 घंटे बाद अगली सुबह 4 बजे दी।

आरोप है कि गर्भस्थ शिशु की मौत के बाद डॉक्टर देशमुख को तत्काल ऑपरेशन करना था, लेकिन उन्होंने सुबह 8.30 बजे ऑपरेशन कर मृत बच्ची को बाहर निकाला। परिजनों का दावा है कि इस देरी की वजह से अंजलि के पेट में जहर फैल गया और उसकी हालत और ज्यादा खराब हो गई। 14 अक्टूबर को डॉ. देशमुख ने अंजलि को औपचारिक इलाज कर हालत सामान्य बताकर अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया।

हार्ट और किडनी पर हुआ असर, चली गई जान

नितेश ने बताया कि घर आने पर भी अंजलि की तबीयत ठीक नहीं हुई। दूसरे डॉक्टर को दिखाने पर पता चला कि गर्भस्थ शिशु की मौत और उसे बाहर निकालने में हुई देरी के कारण अंजलि की किडनी और हार्ट पर गंभीर असर हुआ था।

जब उन्होंने डॉ. देशमुख से संपर्क करने का प्रयास किया तो वे उपलब्ध नहीं हुईं। इसके बाद अंजलि को डॉ. एसएन कृष्णा अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ डॉक्टरों ने हार्ट में ब्लड के क्लाट जमने की बात बताई। हालत गंभीर होने के कारण अंजलि को वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। यहां के डॉक्टरों ने भी इलाज के रिकॉर्ड देखकर गलत तरीके से आयरन के इंजेक्शन लगाने और लापरवाही के कारण स्थिति बिगड़ने की बात कही। अंजलि के पति ने देशमुख अस्पताल की डॉक्टर पर आपराधिक केस दर्ज करने की मांग की है।

अस्पताल का पक्ष

इस मामले में अस्पताल के डॉ. श्रीपाद देशमुख का कहना है कि परिजन प्रसूता को डिलीवरी के अंतिम समय में लाए थे, तब उनका बीपी बढ़ा हुआ था। उन्होंने कहा, “रिपोर्ट देखकर आयरन के इंजेक्शन लगाए गए थे। डिलीवरी से पहले ही शिशु की मौत के बारे में परिजनों को बता दिया गया था। महिला को उपचार के बाद सामान्य होने पर ही डिस्चार्ज किया गया था। एक माह बाद किन परिस्थितियों में मौत हुई, इसकी जानकारी हमें नहीं है।”

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