17 दिन बाद भी मजिस्ट्रीयल जांच शुरू नहीं
उज्जैन,अग्निपथ। एक एजेंट से विभागीय दस्तावेज मिलने के बाद आरटीओ का निलंबन तय माना जा रहा था। लेकिन 17 दिन बाद भी कलेक्टर की अनुशंसा बेअसर होने से जिम्मेदार शंका के घेरे में आ रहे है। वहीं आदेश के बाद भी मजिस्ट्रीयल जांच शुरू नहीं होने से लेन-देन की चर्चा को भी बल मिल रहा है।
उल्लेखनीय है 18 मार्च को आरटीओ एजेंट प्रदीप शर्मा की दुकान पर एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी ने छापा मारा था। तलाशी में उसकी दुकान व घर से विभाग की 120 फाईल, रसीद कट्टे व सील मिली थी। मामले को गंभीर बताते हुए कलेक्टर आशीष सिंह ने आरटीओ संतोष मालवीय को निलंबित करने की संभागायुक्त संदीप यादव से अनुशंसा की थी।
कार्रवाई तुरंत तय मानी जा रही थी, लेकिन चार दिन पहले संभागायुक्त द्वारा आरटीओ को नोटिस जारी करने की औपचारिकता और अब तक कार्रवाई नहीं होने से सवाल खड़े हो रहे हैं। सूत्रों का दावा है कि एक मीडियाकर्मी ने आरटीओ से 20 लाख रुपए बचाने के वास्ते लिए और 12 लाख रुपए संभाग के मुखिया को देकर मामला रफादफा कर दिया। मामले में संबंधित अधिकारियों से चर्चा का प्रयास किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
मजिस्ट्रीयल जांच का पत्र छह दिन पहले
सर्वविदित मजिस्ट्रीयल जांच मतलब तुरंत कार्रवाई, लेकिन इस मामले में 19 मार्च को कलेक्टर सिंह ने मजिस्ट्रीयल जांच की घोषणा कर अपर कलेक्टर अवि प्रसाद को जांच सौंपने का कहा था। 31 मार्च तक कार्रवाई नहीं होने पर दैनिक अग्निपथ ने खबर प्रकाशित की तो कलेक्टर सिंह ने दो दिन पूर्व आदेश जारी करने का दावा किया। बावजूद अब तक जांच अब तक शुरू हो पाई।
यह था मामला
भरतपुरी स्थित आरटीओ कार्यालय के पीछे एजेंट प्रदीप शर्मा की दुकान है। यहां 18 मार्च को एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी ने छापा मारा था। टीम ने विष्णुपुरा स्थित उसके घर से भी विभाग की फाइलों के जखीरे के साथ आरटीओ हस्ताक्षरित नोटशीट बरामद की थी। एडीएम ने शर्मा की दुकान सील कर दी थी। कार्रवाई के दौरान आरटीओ द्वारा शर्मा के बचाव का प्रयास किया था। बावजूद एडीएम ने शर्मा पर एफआईआर का दावा किया था। यहीं नही एजेंट शर्मा द्वारा आरटीओ चलाने की संभावना भी व्यक्त की थी।