किसान आंदोलन: नेशनल हाईवे-52 पर चक्काजाम, 5,000 किसान सड़क पर

 आर-पार की लड़ाई का ऐलान

धार, अग्निपथ। भारतीय किसान मजदूर महासंघ के नेतृत्व में चार जिलों- धार, बड़वानी, खरगोन और खंडवा- के करीब 5,000 किसानों ने सोमवार को ग्राम खलघाट में नेशनल हाईवे-52 पर जाम कर दिया और अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी और कर्जमाफी सहित अन्य मांगों को लेकर किसानों ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया है, जिससे यह आंदोलन लंबा चलने की संभावना है।

हनुमान चालीसा के पाठ से शुरू हुआ आंदोलन

किसान सुबह से ही नेशनल हाईवे-52 के खलघाट टोल पर एकत्रित होना शुरू हो गए थे। आंदोलन की शुरुआत सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करके की गई, जिसके बाद किसानों ने चक्काजाम करते हुए धरना शुरू कर दिया। किसानों का कहना है कि पिछले पाँच महीनों से वे स्थानीय प्रशासन और सरकार को लगातार आवेदन दे रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। किसान मजदूर महासंघ के जिला अध्यक्ष प्रकाश धाकड़ ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।

प्रशासन से बातचीत बेनतीजा, किसान रातभर सड़क पर गुजारेंगे

शाम चार बजे खलघाट टोल पर चल रहे आंदोलन के बीच महेश्वर रोड स्थित आईआईटी परिसर में कलेक्टर प्रियंक मिश्रा और किसान प्रतिनिधियों के बीच बैठक हुई, लेकिन यह बैठक बेनतीजा रही। इसके बाद किसान महासंघ ने घोषणा की कि वे सड़क पर ही भोजन करेंगे और एक हजार किसान खुले आसमान के नीचे रात गुजारेंगे। संघ ने दूर-दूर से आए किसानों के लिए भोजन और सोने के साधनों की व्यवस्था की है।

कलेक्टर धार प्रियंक मिश्रा ने कहा: “हमने किसानों को यह बात समझाई कि चक्काजाम किसी समस्या का हल नहीं है। इमरजेंसी में एक मिनट भी कीमती होता है। वे शांतिपूर्ण रूप से ज्ञापन के माध्यम से अपनी मांगें रख सकते हैं।”

नेशनल हाईवे-52 पर ट्रैफिक शुरू करने विरोध, ड्रोन से निगरानी

प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में सुबह टोल की एक लेन से वाहनों को निकालने की कोशिश की गई, लेकिन दोपहर में किसानों ने नेशनल हाईवे-52 सड़क के बीचों-बीच पेड़ रखकर उस लेन को भी पूरी तरह बंद कर दिया। फोरलेन की एक लेन पर पुलिस द्वारा ट्रैफिक शुरू किए जाने पर किसानों ने वाहन रुकवाकर विरोध जताया और वाहनों के सामने आकर खड़े हो गए। प्रशासन के लिए यह राष्ट्रीय राजमार्ग सुचारू रखना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, जिस पर रोजाना लाखों वाहन गुजरते हैं। आंदोलन की हर गतिविधि पर ड्रोन की मदद से भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है और क्षेत्र में 400 से अधिक पुलिसबल तैनात है।

उद्योगपतियों की सरकार!

नेशनल हाईवे-52 खलघाट धरनास्थल को संबोधित करते हुए प्रदेश किसान कांग्रेस के महासचिव सुनील चौहान ने केंद्र और राज्य सरकार पर किसानों के शोषण का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह सरकार “उद्योगपतियों की सरकार” है।

किसानों की मुख्य चार मांगें:

  1. मक्का, सोयाबीन और मुख्य फसल कपास की सरकारी खरीदी पूर्व की योजनानुसार की जाए।

  2. सभी किसानों को ऋण मुक्त किया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी लागू हो।

  3. आदि गुरु शंकराचार्य के संकल्प के अनुसार गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाए।

  4. केंद्र सरकार आयात-निर्यात नीति किसानों के हित में बनाए और दलहन, कपास तथा प्याज के निर्यात पर लगी रोक हटाई जाए।

किसान संगठन ने किसानों से कंबल, दो जोड़ी कपड़े, आटा, दाल, लकड़ी और कंडे साथ लाने का आग्रह किया है, जो इस बात का संकेत है कि नेशनल हाईवे-52 पर किसान आंदोलन लंबा चल सकता है।

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