उपाध्यक्ष सहित 4 संतों ने दिए इस्तीफे
उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन में सिंहस्थ महापर्व 2028 की तैयारियों के बीच एक बड़ा संगठनात्मक बदलाव हुआ है। शिप्रा तट स्थित दत्त अखाड़े में हुई एक आपात बैठक के बाद स्थानीय अखाड़ा परिषद को भंग कर दिया गया है। परिषद के उपाध्यक्ष महंत आनंद पुरी महाराज सहित चार प्रमुख पदाधिकारियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
इस्तीफों के बाद परिषद हुई भंग
दत्त अखाड़े में हुई इस आपात बैठक में साधु-संतों ने सर्वसम्मति से स्थानीय परिषद को भंग करने का निर्णय लिया। इस्तीफे देने वालों में प्रमुख रूप से:
महंत आनंद पुरी महाराज (उपाध्यक्ष)
महामंत्री महंत रामेश्वर गिरि महाराज
प्रवक्ता महंत श्याम गिरि महाराज
उदासीन अखाड़ा के महंत सत्यानंद गिरि (फोन पर सहमति दी)
परिषद के अध्यक्ष महंत डॉ. रामेश्वर दास महाराज ने मीडिया से कहा कि संतों में कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “संत समाज एक है और सब मिलकर आगामी सिंहस्थ महापर्व 2028 को सफल बनाएँगे”।
अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद करेगी सिंहस्थ-28 का नेतृत्व
स्थानीय अखाड़ा परिषद को भंग करने का मुख्य कारण सिंहस्थ जैसे बड़े महाआयोजन का शुरू होना बताया गया है।
श्रीमहंत आनंदपुरी महाराज ने बताया कि पूर्व में स्थानीय परिषद का गठन साधु-संतों के छोटे-छोटे कार्यों के लिए किया गया था।
अब जबकि सिंहस्थ 2028 के निर्माण कार्य और प्रशासनिक प्रयोजन प्रारंभ हो गए हैं, ऐसे में यह निर्णय लिया गया है कि कुंभ मेले की सारी व्यवस्था और नेतृत्व अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (अभा. अखाड़ा परिषद) ही करेगी।
स्थानीय परिषद को भंग करने के बाद शासन-प्रशासन को भी इसकी सूचना दे दी गई है। यह स्पष्ट कर दिया गया है कि अब सिंहस्थ से संबंधित कोई भी विषय या पत्र-व्यवहार हो तो वह सीधे अभा. अखाड़ा परिषद से ही किया जाए।
बैठक में मौजूद थे प्रमुख संत-महंत
इस महत्वपूर्ण बैठक में विभिन्न अखाड़ों से कई प्रमुख संत-महंत मौजूद रहे, जिनमें राधे राधे बाबा, अटल अखाड़े के श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज, निरंजनी अखाड़े के महंत सुरेशानंद पुरी महाराज, आनंद अखाड़े के श्रीमहंत समुद्र गिरि महाराज, आव्हान अखाड़े के श्री महंत शेवानन्द गिरि महाराज, अग्नि अखाड़े के श्री महंत कृष्णानंद ब्रह्मचारी लाल बाबा, श्री पंच निर्मल अखाड़े के महंत, श्री दत्त अखाड़ा के गाड़ीपति पीर श्रीमहंत परमानंद पुरी जी महाराज और श्री पंचायती निरंजन अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज प्रमुख रूप से शामिल थे।
