2026 की डेडलाइन टूटी
धार, अग्निपथ। धार जिले के पीथमपुर में केंद्र सरकार के गति शक्ति मिशन के तहत प्रस्तावित 1100 करोड़ रुपये के मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क (MMLP) का काम भू-अर्जन विवादों के कारण ठप पड़ गया है। यह प्रोजेक्ट देश के पाँच प्रमुख राष्ट्रीय MMLP में शामिल था, जिसे 2026 तक पूरा किया जाना था, लेकिन किसानों के कड़े विरोध और कानूनी जटिलताओं ने इसकी रफ्तार रोक दी है।
पीथमपुर स्थित सागौर, खेड़ा, जामोदी और अकोलिया की 255 एकड़ भूमि पर बनने वाले इस पार्क का उद्देश्य राष्ट्रीय हाईवे, टीही स्टेशन से रेल लिंक और भविष्य में एयर कार्गो कनेक्शन से जुड़कर माल ढुलाई की लागत को कम करना था। बेंगलुरु, चेन्नई, नागपुर और गुवाहाटी के समकक्ष प्रोजेक्ट्स में तेजी आई, लेकिन पीथमपुर में भूमि विवाद ने पूरा कैलेंडर बिगाड़ दिया।
ग्राम जामोदी में 57 जमीन मालिक सुप्रीम कोर्ट से अपने पक्ष में फैसला लेकर आए हैं। इसके चलते प्रशासन को न केवल पुन: सुनवाई करनी पड़ी, बल्कि भू-अर्जन की राशि भी बढ़ानी पड़ी। जमीनी हकीकत यह है कि किसान अब भी मुआवजा बढ़ाने और जमीन देने को लेकर असंतुष्ट हैं।
विलंब के अन्य संकेत:
इंदौर विकास प्राधिकरण की टीपीएस-3 योजना के तहत अरण्ड्या क्षेत्र में 30 एकड़ सरकारी जमीन पर प्रस्तावित 70 करोड़ रुपये से अधिक का ट्रांसपोर्ट हब और गति शक्ति योजना का प्रोजेक्ट भी अतिक्रमण और जमीन विवाद के कारण देरी का शिकार हो गया है।
सांसद शंकर लालवानी ने दावा किया है कि इंदौर को सिटी लॉजिस्टिक प्लान के पायलट प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है, जिसके तहत 12 या 13 दिसंबर को गतिशक्ति और एशियन डेवलपमेंट बैंक की संयुक्त टीम इंदौर का दौरा करेगी।
यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पूरे प्रदेश के औद्योगिक विकास की रीढ़ बन सकता है, लेकिन भूमि अधिग्रहण की समस्या के कारण बार-बार लेटलतीफी का शिकार हो रहा है।
