जिला अस्पताल में एक्सपायरी फ्रूटी पिलाने से डोनर की जान पर बन आई
शाजापुर, अग्निपथ। इंसानियत का फर्ज निभाने शाजापुर जिला अस्पताल के ब्लड बैंक पहुँचे एक नियमित रक्तदाता की जान उस वक्त खतरे में पड़ गई, जब अस्पताल के जिम्मेदारों ने उन्हें ‘इनाम’ के तौर पर एक्सपायरी डेट की फ्रूटी पिला दी। लापरवाही की हद यह थी कि जो फ्रूटी डोनर को दी गई, वह कुछ महीने नहीं, बल्कि पूरे चार साल पहले यानी 2021 में ही एक्सपायर हो चुकी थी! इस भयानक घटना ने जिला अस्पताल और ब्लड बैंक की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।
क्या है पूरा मामला?
बेरछा के रहने वाले दिनेश कुमार शनिवार दोपहर करीब 3 बजे रक्तदान करने शाजापुर जिला अस्पताल के ब्लड बैंक पहुँचे थे। रक्तदान की नेक प्रक्रिया पूरी होने के बाद, नियम के अनुसार, कमजोरी दूर करने के लिए उन्हें ब्लड बैंक स्टाफ द्वारा फ्रूटी दी गई।
दिनेश ने बताया कि अभी उन्होंने आधी फ्रूटी ही पी थी कि उन्हें उसका स्वाद अजीब और कड़वा लगा। फ्रूटी पीने के तुरंत बाद ही उनका जी मचलने लगा और शरीर में घबराहट शुरू हो गई।
17 नवंबर 2021 की थी ‘ज़हरीली’ एक्सपायरी डेट
संदेह होने पर दिनेश ने हिम्मत करके फ्रूटी के पैक पर लिखी तारीख जाँची, तो उनके होश उड़ गए। उस पर एक्सपायरी डेट 17 नवंबर 2021 दर्ज थी। यानी यह ड्रिंक पीने लायक समय सीमा से काफी साल पुरानी थी!
एक्सपायरी ड्रिंक शरीर में जाते ही दिनेश को तुरंत उल्टी जैसा महसूस होने लगा और शरीर में तेज कंपकपी छूटने लगी। मौके पर मौजूद ड्यूटी डॉक्टर ने तुरंत उनका ब्लड प्रेशर चेक किया। गनीमत रही कि डॉक्टर की निगरानी में करीब एक घंटे बाद दिनेश की हालत में सुधार हुआ, लेकिन इस घटना ने ब्लड बैंक की सुरक्षा व्यवस्था पर काला धब्बा लगा दिया है।
जिम्मेदारों का टका-सा जवाब, लीपापोती की कोशिश!
इतनी बड़ी और जानलेवा लापरवाही पर अस्पताल प्रशासन का रवैया बेहद निराशाजनक रहा।
सिविल सर्जन डॉ. बी.एस. मैना ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि वे मीटिंग में व्यस्त थे, इसलिए उन्हें घटना की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने यह मामला अन्य अधिकारियों पर टाल दिया।
ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. जायसवाल ने यह तो माना कि एक फ्रूटी एक्सपायरी डेट की मिली है, लेकिन उन्होंने अजीब तर्क देते हुए कहा, “यह फ्रूटी कहाँ से आई, इसकी जानकारी नहीं है।” उन्होंने बताया कि माल ‘सांवरिया कोल्ड ड्रिंक’ से आता है, लेकिन यह कई साल पुराना पैक वहाँ कैसे पहुँचा, इसका उनके पास कोई जवाब नहीं था।
अस्पताल प्रशासन के इस रटे-रटाए और गोलमोल जवाब से यह स्पष्ट है कि वे मामले पर लीपापोती करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि मानवता की मदद करने आए व्यक्ति की जान खतरे में डालने वाली इस घटना पर कठोर कार्रवाई की आवश्यकता है।
