जिम्मेदारों पर मिलीभगत के आरोप
धार, अग्निपथ। जहाँ एक ओर देश भर में प्रधानमंत्री द्वारा “एक पेड़ माँ के नाम” जैसे अभियान के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जा रहा है और राज्य शासन “माँ की बगिया” जैसी योजनाओं से हरियाली बढ़ाने का प्रयास कर रहा है, वहीं धार जिले के औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर सेक्टर–2 में वन माफिया इन सभी अभियानों को खुलेआम चुनौती देते नजर आ रहे हैं। यहाँ राजस्व भूमि पर स्थित हरे-भरे, सालों पुराने पेड़ों की बड़े पैमाने पर अवैध कटाई का गंभीर मामला सामने आया है। इस अवैध कारोबार पर जिम्मेदार विभागों—वन और राजस्व—की चुप्पी और ढीली कार्रवाई उनकी कुम्भकर्णी नींद और कथित मिलीभगत की ओर इशारा करती है।
साल-पुराने पेड़ों की बलि और अवैध परिवहन
शिकायतकर्ताओं के अनुसार, पीथमपुर सेक्टर–2 में कई विशाल और पुराने पेड़ों को बेरहमी से काटकर गिरा दिया गया है। कटाई के बाद, इन लकड़ियों को तुरंत ही ट्रकों और भारी वाहनों में भरकर अवैध रूप से परिवहन किया गया। बताया जा रहा है कि यह लकड़ी आस-पास की आरा मशीनों तक पहुँचाकर बेच दी गई है। यह पूरा अवैध कारोबार लंबे समय से फल-फूल रहा है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि वन विभाग और राजस्व विभाग दोनों ही आँखें मूँदे बैठे हैं। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि पीथमपुर क्षेत्र अब अवैध लकड़ी परिवहन का गढ़ बनता जा रहा है।
जिम्मेदार विभागों की लापरवाही पर सवाल
इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों के काटे जाने के बावजूद, न तो वन विभाग की टीम मौके पर पहुँची और न ही राजस्व विभाग ने कोई ठोस कदम उठाया। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि विभागीय अधिकारियों की लापरवाही या कथित साँठगाँठ के चलते वन माफिया बेखौफ होकर इस अवैध गतिविधि को अंजाम दे रहे हैं।
शिकायतकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि धार वन विभाग के उड़नदस्ता एवं मांडव रेंज के अधिकारी कुम्भकर्णी नींद में सोए हुए हैं। यहाँ तक कि धार डीएफओ (DFO) को भी कई बार अवैध लकड़ी के परिवहन और फैक्ट्रियों में डंप किए जाने की जानकारी दी गई, लेकिन इसके बावजूद कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई। इससे विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
डीएफओ ने दिया जांच का आश्वासन
इस मामले में जब डीएफओ धार विजयानंतम टी आर से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि “अगर वन क्षेत्र में पेड़ों की कटाई हो रही है या अतिक्रमण हो रहा है, तो जाँच करवाई जाएगी।” वहीं, इस संबंध में राजस्व विभाग के एसडीएम और तहसीलदार से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनके फोन नहीं उठाए गए।
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जाँच कर दोषियों एवं इस अवैध कारोबार में संलिप्त जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, अन्यथा पर्यावरण संरक्षण के सरकारी प्रयास केवल कागजों तक ही सीमित रह जाएंगे।
