नागदा जंक्शन, अग्निपथ। उच्च न्यायालय इंदौर ने नागदा नगरपालिका के पूर्व मुख्य नगरपालिका अधिकारी (सीएमओ) प्रेमकुमार सुमन को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है। सिविल न्यायालय में झूठा शपथ-पत्र प्रस्तुत करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने उन्हें 7 जनवरी 2026 को उच्च न्यायालय के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए हैं।
यह पूरा मामला नागदा के सिविल न्यायालय में लंबित प्रकरणों से जुड़ा है। पूर्व सीएमओ प्रेमकुमार सुमन ने निचली अदालत में एक शपथ-पत्र दाखिल कर यह दावा किया था कि उच्च न्यायालय ने 28 प्रकरणों में 50 प्रतिशत राशि जमा करने की शर्त पर स्थगन आदेश (स्टे) जारी किया है। नगरीय निकाय महासंघ ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए न्यायालय को बताया था कि इनमें से 12 प्रकरणों में वास्तव में कोई स्थगन आदेश पारित नहीं हुआ था। सीएमओ द्वारा दी गई इस गलत जानकारी के विरुद्ध महासंघ ने महाधिवक्ता से अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति भी मांगी थी।
15 दिसंबर 2025 को हुई सुनवाई के दौरान कर्मचारियों के अभिभाषक अमित दुबे ने उच्च न्यायालय के समक्ष पक्ष रखते हुए बताया कि नगरपालिका के तत्कालीन अधिकारी ने गलत शपथ-पत्र के माध्यम से निचली अदालत को गुमराह कर लाभ प्राप्त करने का प्रयास किया। इन दलीलों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता नगरपालिका के वकील को निर्देशित किया कि वे शपथ-पत्र देने वाले संबंधित अधिकारी प्रेमकुमार सुमन को अगली सुनवाई की तारीख पर अनिवार्य रूप से न्यायालय में उपस्थित रखें।
उल्लेखनीय है कि पूर्व सीएमओ प्रेमकुमार सुमन पर बिना कार्य किए कर्मचारियों को वेतन देने जैसी गंभीर शिकायतों के बाद शासन द्वारा पहले ही स्थानांतरण की कार्यवाही की जा चुकी है। नगरीय निकाय कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि नगरपालिका के हितों के विरुद्ध कार्य करने वालों के खिलाफ महासंघ द्वारा समय-समय पर की जा रही इस त्वरित कार्यवाही से अनियमितता करने वालों में हड़कंप मचा हुआ है।
