इनसाइड स्टोरी: माधव नगर अस्पताल मेें फिर से आई खराब खाने की शिकायत

मरीज बोले- पतली दाल, जली रोटियां और पानी मिला दूध मिलता है, शिकायतों पर सीएमएचओ ने जांच टीम बनाई

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन के जिला अस्पताल के चरक भवन में भर्ती मरीजों को मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता पर बुधवार को फिर सवाल उठ गया है। मरीजों का कहना है कि उन्हें पतली दाल, जली हुई रोटियां और पानी मिला दूध परोसा जा रहा है। यही शिकायत कुछ माह पहले भी हुई थी, जिसपर सिविल सर्जन ने भोजनशाला संचालक को नोटिस थमाया था। इस बार भी सीएमएचओ ने जांच टीम बनाकर छानबीन करने के आदेश दिये हैं। लेकिन इस शिकायत के पीछे की राजनीति भी सामने आई है।

भोजनशाला का संचालन अरिहंत मार्केटिंग द्वारा किया जा रहा है, जिसके संचालक ललित रानावत हैं। इनके उपर दोबारा आरोप लगे हैं कि मरीजों को जो सुबह दूध दिया जाता है, उसमें दूध कम और पानी ज्यादा होता है। वहीं दोपहर के खाने में दाल के नाम पर सिर्फ पानी होता है और रोटियां भी जली हुई मिलती हैं।

लगातार मिल रही शिकायतों के बाद अस्पताल प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया है। चरक भवन और माधवनगर अस्पताल दोनों जगह के मरीजों को प्रतिदिन 350 थालियां प्रदाय की जाती हैं। वहीं जानकारी लगी है कि माधवनगर अस्पताल के प्रभारी डॉ. विक्रम रघुवंशी ने भी भोजन और दूध की गुणवत्ता को लेकर नाराजगी जताई है। उन्होंने इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया है।

पहले भी मिला चुका संचालक को नोटिस

इसके पहले भी भोजनशाला संचालक ललित रानावत को सिविल सर्जन डॉ संगीता पलसानिया द्वारा माधव नगर अस्पताल से ही आई खराब खाने की शिकायत के बाद नोटिस दिया गया था। उस समय जली रोटियां देने की शिकायत सामने आई थी। इसके बाद मामला रफादफा हो गया था, लेकिन इस बार फिर से माधव नगर अस्पताल से शिकायत की गई है। ज्ञात रहे कि भोजनशाला संचालक को इसका टेंडर लिया केवल दस माह ही हुए हैं। कुल दो साल का इसका ठेका है।

अंदर की लड़ाई

दैनिक अग्निपथ ने जब इस मामले की इनसाइड स्टोरी तलाश की तो मालूम हुआ कि माधव नगर अस्पताल प्रबंधन और भोजनशाला संचालक के बीच काफी समय से इसको लेकर विवाद चल रहा है। अपना अपना वर्चस्व दिखाने के चक्कर में यह सब हो रहा है, लेकिन माधव नगर अस्पताल प्रबंधन के स्वास्थ्य विभाग के ज्यादा करीब होने के चलते भोजनशाला संचालक को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। कुल मिलाकर यह अंदर की लड़ाई है, जिसको लेकर शिकायतें करवाई जा रही हैं।

इनका कहना

पहले भी ऐसी शिकायतें आई थीं, तब ठेकेदार को चेतावनी दी गई थी। अब दोबारा शिकायतें मिलने पर एक आकस्मिक निरीक्षण टीम बनाई गई है। जांच में अगर लापरवाही सामने आई, तो ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
-डॉ. अशोक पटेल, सीएमएचओ

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